गुरुवार, 15 फ़रवरी 2024

श्री गुरु राम दास जी के प्रकाश पर्व पर 222 क्विंटल फूलों सजाया गया श्री हरिमंदिर साहिब परिसर

— अस्सी के करीब कारीगरों ने फूलों की सजावट करने में निभा रहे है सेवा

 — 115 तरह के फूलों से सजाया जा रहा है श्री हरिमंदिर साहिब परिसर
पंकज शर्मा , अमृतसर
 श्री गुरु रामदास जी के प्रकाश पर्व भव्य रूप में श्री हरिमंदिर साहिब में आयोजित किया जा रहा है। इस पवित्र दिवस को मुख्य रख श्री हरिमंदिर साहिब परिसर को अलग अलग तरह के देशी व विदेशों फूलों के साथ सजाया गया है। गुरु राम दास जी के प्रकाश पर्व को मुख्य रख श्री हरिमंदिर साहिब,परिक्रमा श्री हरिमंदिर साहिब और श्री अकाल तख्त साहिब के साथ साथ श्री हरिमंदिर साहिब परिक्रमा में स्थित अलग अलग गुरुद्वारों को फूलों के साथ सजाया गया है। जो मनमोहक दृष्य पेश करते हुए संगत को आकर्षित कर रहे है। श्री हरिमंदिर साहिब,श्री अकाल तख्त साहिब और परिक्रमा की सजावट के लिए 222 क्विंटल अलग अलग तरह के फूलों का उपयोग किया जा रहा है। सजावट के लिए फूल हर रोज मुबई से हवाई जहाज से मंगवाए जा रहे है। इन फूलों को सजाने के लिए  कोलकत्ता, मुबई आदि से 80 से अधिक आए अलग अलग कारीगर सेवाएं निभा रहे है। बताया गया है कि सजावट के लिए 115 तरह के फूलों का उपयोग हो रहा है। यह फूल कलकत्ता, केरला, पूना, दिल्ली, मुंबई,यूपी, हिमाचल प्रदेश, मलेशिया,थाइलैंड,सिंघापुर,बैंकांक, हालैंड आदि से मंगवाए गए है।
श्री हरिमंदिर साहिब में सब से अधिक संख्या में गेंदा के फूलों का उपयोग हो रहा है। सजावट के लिए फूलों के अलग अलग तरह के झालर और डिजाइन तैयार करके लगाए जा रहे है। इन फूलों की सेवा पिछले कई वर्षों से मुबई से सेवादार इकबाल सिंह निभा रहे है।
 इकबाल सिंह का कहना है कि गुरु घर के प्रति अथाह श्रद्धा के कारण ही वह यह सेवा निभा रहे है। वाहे गुरु के आर्शीवाद के कारण ही उन्होंने यह सेवा कुछ वर्ष पहले शुरू की थी जो लगातार जारी है।  इस बार मुबई से उनके साथ 150 के करीब श्रद्धालु भी आए है। जो जो गुरु घर में अलग अलग सेवाएं निभा रहे है। प्रकाश पर्व के अवसर पर आतिशबाजी भी चलाई जा रही है। यह पल्यूशन फ्री व कम धुआ वाली वातावरण फ्रेंडली आतिशबाजी है। जिस को चलाने के लिए भी 15 सदस्यों की टीम है। प्रकाश पर्व के अवसर पर श्री हरिमंदिर साहिब, श्री अकाल तख्त साहिब और गुरुद्वारा अटल राय साहिब में सुंदर जलौ सजाएं जाएंगे। हरिमंदिर साहिब और परिसर में स्थित अलग अलग गुरुद्वारों में रंग बिरंगी लड़ियां भी लगाई गई है।  शुक्रवार वार शाम को श्री हरिमंदिर साहिब परिसर में दीपमाला की जाएगी और आतिशबाजी भी संगत चलाएगी।
— पंकज शर्मा

जल संरक्षण का भी विद्याथियों को पाठ पढ़ा रहा है जीएनडीयू का इंवायरमेंट एंव बाटेनिकल सांइस विभाग

— नगर निगम की ओर सभी जल संरक्षण के लिए नई इमारातों पर लागू किए जा रहे है नियम

पंकज शर्मा , अमृतसर
गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अच्छी शिक्षा के साथ जल संरक्षण की दीक्षा भी विद्यार्थियों को दे रहा है। ताकि बारिश की बूंदों को अमृतसर में तबदील किया जाए।
वर्षा जल संचय का आदर्श पेश करने वाले विश्वविद्यालय में इस व्यवस्था को शुरू करने के लिए इन्वायरामेंटल एंड बॉटेनिकल साइंस विभाग के पूर्व मुखी प्रो.आदर्श पाल की अहम भूमिका रही है। डा अदर्शपाल आज कल राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन है। डा आदर्श की कोशिश से बरसातों में विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कांप्लेक्स की छत पर जमा होने वाला वर्षा का जल चैनल होते हुए सूखे तालाब में जाकर धरती की प्यास बुझा रहा है।
डा. आदर्श ने बताया कि गुरु नानक देव विश्वविद्यालय करीब 500 एकड़ रकबे में फैला हुआ है। दो हजार वर्ग गज में बने प्रशासकीय कांप्लेक्स की छत पर जमा बारिश का पानी जाया हो जाता था। करीब नौ वर्ष पहले उन्होंने वर्षा जल संचय के संबंध में तत्कालीन वीसी व रजिस्ट्रार से बात की। उन्होंने इसकी हामी भर दी। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से करीब छह लाख रुपये खर्च कर कांप्लेक्स की छत पर जमा पानी को सूखे तालाब में एकत्रित कर धरती की प्यास बुझाई जाती है। छत में जमा बरसाती पानी को तालाब तक ले जाने के लिए बकायदा पक्के चैनल बनाए गए हैं। ढालनुमा चैनल से होकर हर साल मानसून के दिनों में वर्षा का पानी तालाब में जाकर धरती को तर कर रहा है। इस पानी से विभाग के बोटेनिकल बाग में स्थित अलग अलग पौधों की सिंचाई की जाती है। बोटेनिकल गार्डन में अलग अलग पौधों के संरक्षण के लिए जो प्रोजेक्ट लगाए गए है उन में भी वर्षा के पानी को ही उपयोग में लाया जाता है।
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बहुत सारे शिक्षण संस्थानों ने भी लगाए है वर्षा के जल संरक्षण प्रोजेक्ट
प्रो. आदर्श कहते हैं कि हम नागरिकों को शिक्षित करते हैं। इसलिए सबसे पहले हमें उदाहरण प्रस्तुत करना होगा। जनता को प्रेरणा देने के लिए वर्षा जल संचय की कोशिश की गई। इससे प्रेरित होकर कई अन्य निजी स्कूल और कालेजों में भी वर्षा जल का संचय किया जा रहा है। खालसा कालेज में भी यह प्रोजेक्ट लगाया हुआ है। इसी तरह सरकारी कालेज में भी प्रोजेक्ट लगा है। कुछ स्कूलों ने भी इस पर काम किया है।
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सभी इमारतों पर वर्षा का जल संचय का लगाया जाए प्रोजेक्ट
डा आदर्शपाल कहते हैं कि उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से आग्रह किया गया है कि बाकी इमारतों में भी वर्षा जल संचय की व्यवस्था की जाए। इसके अलावा नए होने वाले भवन निर्माण में भी छत पर जमा होने वाले वर्षा के  जल का उपयोग विश्विद्यालय में पौधों के लिए किया जाए। सफाई के लिए भी इस जल का उपयोग हो सकता है।
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नगर सुधार ट्रस्ट ने भी लगाए रीचार्जिग वेल

नगर सुधार ट्रस्ट ने भी रंजीत एवेन्यू स्थित डिस्ट्रिक्ट शॉपिंग कांप्लेक्स में जमा होने वाले पानी से धरती को तर करने के लिए छह वर्ष पहले रीचार्जिग वेल लगाए हैं। स्थानीय निकाय विभाग के चीफ इंजीनियर राजीव  सेखड़ी ने कहा कि कांप्लेक्स में बरसाती पानी जमा हो जाता था, जिससे सीवर अक्सर जाम रहता था। इसलिए ट्रस्ट प्रशासन ने वर्षा जल के संचय के लिए यहां पर रीचार्जिग वेल लगवाए थे।
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कामर्शियल कांप्लेक्स में लग रहे हैं रेन वाटर हार्वेस्टिंग

निगम के एमटीपी नरिंदर शर्मा कहते है कि शहर में जितने भी नए माल, मल्टीप्लेक्स, होटल, सिनेमा समेत जितने भी कामर्शियल कांप्लेक्स बन रहे हैं, उन सभी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाए जा रहे हैं ताकि वर्षा जल का संचय हो सके। रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाने पर ही उन्हें कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिया जाता है।
— पंकज शर्मा

जल ही जीवन है, बिन जल सब सून

अमृतसर: 

जल ही जीवन है, बिन जल सब सून. हम सभी सुनते हैं। परंतु जल को बचाने के लिए कोशिशें नाममात्र है। बारिश कुदरती पानी का सबसे बड़ा स्त्रोत है। बारिश के पानी को संभालने के लिए लोग प्रयास नहीं करते। आंकड़ों के अनुसार देश में हर वर्ष 8760 घंटे बारिश होती है। पंजाब में यह बारिश अब 100 घंटे ही होती है।

अमृतसर में स्थिति वर्ष में सिर्फ 70 से 80 घंटे बारिश की है। अगर आज हम बारिश का पानी संभालने के लिए गंभीर न हुए तो वह दिन दूर नहीं जब जल के लिए तरसना पड़ेगा। बस इसी चिंता ने महानगर के पर्यावरण प्रेमी दीपक बब्बर को वर्षा जल के सदुपयोग के लिए प्रेरित किया। साथ ही जल, जमीन, हवा और प्रकृति की रक्षा के लिए प्रयासरत हुए। वर्ष 1993 में उन्होंने मिशन आगाज नाम की एनजीओ बनाकर पानी के सदुपयोग और हरियाली की रक्षा के लिए अभियान चलाया। जो आज भी जारी है। आज सरकारी संस्थान जहां बारिश का पानी संभालने के प्रति लापरवाह है वहीं बब्बर इसे संभालने के लिए अभियान चला रहे हैं। बब्बर ने अपने घर में देसी ढंग से बारिश का पानी संभालने के लिए प्रयास शुरू किया। इसे संस्था के अमृतसर में 160 सदस्यों ने अपनाया है। घरों में जमीन में टैंक बनाकर पानी इस्तेमाल करने को कर रहे प्रेरित
 यह एनजीओ अब लोगों को अपने घरों में भूमि के अंदर एक वाटर टैंक बनाने के लिए प्रेरित करके पानी इकट्ठा कर इसे जरूरत के अनुसार उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रही है। जिले की आधा दर्जन नर्सरियों में बारिश के पानी का उपयोग पौधों की सिंचाई के लिए करवाया जा चुका है। बब्बर ने बताया कि वह छत से आने वाले बारिश के पानी को टब व बड़े ड्रमों में भरते हैं। फिर इसे पौधों के लिए उपयोग में लाते हैं। इसके अलावा शौचालय और कपड़े धोने के लिए भी इस्तेमाल करते है। कैंप लगाकर लोगों को बताते हैं वर्षा जल के लाभ
वह कैंप लगाकर स्कूलों, कालेजों के विद्यार्थियों और लोगों को भी वर्षा जल के फायदे बताते हैं। बारिश के पानी में नाइट्रोजन की मात्रा 80 प्रतिशत से अधिक होती है। इसलिए इस पानी से पौधे जल्दी बढ़ते फूलते हैं। इस पानी में फासफोर्स व गंधक होने के कारण इससे नहाने वालों के चर्म रोग ठीक हो जाता है। बारिश के पानी से अगर कपड़े धोएं तो बहुत कम मात्रा में डिटजर्ेंट और सर्फ का उपयोग होता है। संस्था के सदस्य बारिश का संभाल कर रखते हैं और इसे इनवर्टर की बैटरी में उपयोग करते आ रहे हैं।

पीटीसी के साथ गुरबाणी प्रसारण का किया समझोता रद्द करे एसजीपीसी: दादूवाल

— केंद्र सरकार एसजीपीसी के करवाए चुनाव
—हरियाणा के सिख अलग से बनाएंगे शिरोमणि अकाली दल हरियाणा
 अमृतसर
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष बाबा बलजीत सिंह दादूवाल ने कहा कि पीटीसी चैनल के सामने आए महिला उत्पीड़न के मामले को मुख्य रख श्री हरिमंदिर साहिब की गुरबाणी लाईव का समझौता एसजीपीसी को रद्द करना चाहिए। अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने एसजीपीसी को आदेश दिए है पीटीसी के साथ किया समझौता रद्द किया जाए और एसजीपीसी गुरबाणी के लाईव प्रसारण अपना चैनल बना कर करे। एसजीपीसी अगर सच में गंभीर है तो ज्ञानी हरप्रीत सिंह के आदेशों को तुरंत लागू करे। दादूवाल अपने परिवार के साथ श्री हरिमंदिर साहिब में माथा टेकने के लिए पहुंचे थे।
दादूवाल ने कहा कि विधान सभा चुनावों के दौरान बादल परिवार के नेतृत्व वाले अकाली दल को नाकार दिया है। इस लिए प्रकाश सिंह बादल को अब अपना फखर ए कौम अवार्ड भी अकाल तख्त साहिब पर वापिस कर देना चाहिए। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह हुकमनामा जारी करके बादल परिवार को अब राजनीति से सन्यास लेने का आदेश दें। दादूवाल ने कहा कि जल्दी ही हरियाणा के सिख एक नया शिरोमणि अकाली दल हरियाणा का गठन करने जा रहा है। जिस को लेकर हरियाणा के सिखों के साथ विचार किया जा रहा है। जिस तरह दिल्ली के सिखों के अलग अकाली दल बना लिया है उसी तरह हरियाणा के सिख भी अलग से अकाली दल बनाएंगे।
दादूवाल ने कहा कि हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के खिलाफ बादल दल के नेतृत्व वाली एसजीपीसी ने जो अदालत में केस किया है उस केस को एसजीपीसी वापिस ले। जिस तरह दिल्ली के सिखों को अपने गुरुधामों के प्रबंध देखने का अधिकार है उसी तरह हरियाणा के सिखों को भी अपने गुरुधामों के प्रबंध देखने का अधिकार मिलना चाहिए। हरियाणा कमेटी के खिलाफ केस करके गुरु की गोलक के राशि का दुरूपयोग कर रहे है। केंद्र सरकार को एसजीपीसी के चुनाव जल्दी करवाने चाहिए। क्योंकि पहले ही चुनावों में छह वर्ष की देरी हो चुकी है।
एसजीपीसी की ओर से पेश किए गए घाटे वाले बजट पर दादूवाल ने कहा कि एसजीपीसी की ओर से पेश किए जाते बजट में काफी घोटाले है। हरिमंदिर साहिब समेत विभिन्न गुरुद्वारों में संगत की आमद बहुत अधिक बढ़ रही है तो फिर बजट घाटे में कैसे हो सकता है। हरियाणा कमेटी के पास बहुत ही कम गुरुद्वारों को प्रबंध है। फिर भी पिछले वर्ष के मुकाबले हरियाणा कमेटी ने इस बार 25 प्रतिशत अधिक वाला बजट पास किया है। सभी गुरुद्वारों में संगत का चढावा बढ़ रहा है। परंतु एसजीपीसी कह रही है कि चढ़ावा कम हो रहा है। असल में एसजीपीसी खर्च बेफजूल कर रही है। अगर एसजीपीसी कहती है कि चढ़ावा कम है तो फिर समझ लेना चाहिए कि संगत को विश्वास नही है कि बादल ग्रुप के नेतृत्व वाली एसजीपीसी पैसे का सही उपयोग नही कर रही है।
— पंकज शर्मा


 

पति की मृत्यु के बाद आए संकट से दो दो हाथ होते हुए खुशबु सिंह आज बन चुकी है इंटरप्रनियोर

 —— नमो दैव्य महादैव्य —

— अपने खुद के कई काम शुरू करने के बाद सरकारी कंट्रेक्टर लेकर काम करना किया शुरू
— आज सोलर पैनल इंडस्ट्री में है खुशबु सिंह का है नाम
— सोलर इंनर्जी यूनिट लगा कर लोगों को कर रही है कि सूर्य उर्जा के प्रति जागृत
—खुद नाम कमाने के साथ साथ कई लडकियों और युवाओं को भी दी रही है रोजगार
पंकज शर्मा, अमृतसर
अमृतसर की खुशबू सिंह का सोलर पैनल इंडस्ट्री में नाम है। एक सफल इंटरप्रनियर का स्थान हासिल करने के लिए उसे कड़ी मेहनत करनी पड़ी। अपने पति की मृत्यु के बाद अपने व बच्चे के भरण पोषण के लिए उसने कई जगह नौकरी की। जब फैशन डिजानर रितु कुमार के संपर्क में आई तो उसके अंदर भी कुछ करने की लगन पैदा हो गई। खुशबू ने एक सफल इंटरप्रनियोर बनने के लिए दिन रात मेहनत की। अपनी एक सोलर पैनल कंपनी कोस्मिम सोलन एंड लियोनिंड की स्थापना की। गांवों में लोगों को सूर्य एनर्जी के प्रति जागृत करने के लिए अभियान चलाया। आज व सरकारी व प्राईवेट संस्थानों पैनल स्थापित करके लोगों को सूर्य उर्जा से बिजली पैदा करके देने में सहायता कर रही है। इतना ही नहीं कभी व खुद रोगार ढूंढती थी आज वह जरूरतमंद को खुद रोजगार उपलब्ध करवा रही है। उनकी कपनी ने 25 के करीब युवाओं को रोजगार दिया है। जिस में छह लड़कियां भी है। कुछ स्टाफ स्थाई और कुछ कंट्रेक्ट सिस्टम में काम कर रहे है।
खुशबू सिंह ने बताया कि पढ़ाई पूरी करने के बाद उसे सब से पहले इंश्योरेंस कंपनी में मैनेजर की नौकरी वर्ष 2006 में की। वर्ष 2007 में उनकी शादी हुई। वर्ष 2008 में उसका बेटा तरूण प्रीत पैदा हुआ। 2012 में उसे पति की बेन स्ट्रोक के कारण देहांत हो गया। इस के बाद उसके सामने अपने और बच्चे का भरण पोषण करना मुश्किल बन गया। वर्ष 2012 में ही उसने एक मल्टीनेशनल कंपनी में कस्टमर हैड डैस्क जाब किया। वर्ष 2014 में उनसे ब्रांड नाम जश्न फैशन कंपनी में स्टोर मैनेजर की जाब की और दो बड़े स्टोरों को हैंडल किया। वर्ष 2016 में वह फेशन डिजाईन रितु कुमार के संपर्क में आई और उससे काफी प्रभवित हुई। वह अमृतसर के उसके स्टोर में काम करती रही। बाद में टोल प्लाजा की फास्ट ट्रेक टैग की अमृतसर की पहली डिस्ट्रीब्यूटर बनी। इस टैग को उनकी ओर से ही अमृतसर में लांच किया गया। रितु कुमार से प्रभावित होकर उसने खुद कुछ करने की ठान की ओर अपनी कंपनी गठित की और सोलर का कंस्पेट मार्केट में आया और उसने अपनी कंपनी के माध्यम से सूर्य उर्जा के प्रति लोगों को जागृत करने शुरू किया। कंपनी बना कर सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों के कंट्रेक्ट लेने शुरू कर दिए। आज पंजाब में उनकी कंपनी ग्रामीण क्षेत्र में बढ़े स्तर पर सोलर उर्जा के पैनल व प्रोजेक्ट स्थापित करके नान कनवेंनशनल एनर्जी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है।
— पंकज शर्मा 

गांव वल्ला में भी 17 दिन तक रहे थे श्री गुरु तेग बहादुर साहिब

 — गुरु साहिब की याद में आज यहां स्थापित है गुरुद्वारा कोठा साहिब

पंकज शर्मा, अमृतसर
सिख धर्म में सिख गुरुओं ने अपने जीवनकाल के दौरान जिन स्थानों का दौरा किया, उन्हें तीर्थ स्थलों के रूप में विकसित किया गया है।  अमृतसर के गांव वल्ला स्थित गुरुद्वारा कोठा साहिब के स्थान पर भी नौंवे पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर जी ने समय बिताया था। यहां गुरु साहिब की याद में स्थापित है गुरुद्वारा गुरु का कोठा जिसका अर्थ है गुरु का घर।
बताया जाता है कि जब गुरु गद्दी पर सुशोभित होने क बाद कुछ समय के लिए श्री गुरु तेग बहादुर जी ,श्री हरिमंदिर साहिब के दर्शन करने के लिए अमृतसर आए थे तो उव वक्त सिख धार्मिक स्थानों पर काबिज मसंदों ने उनको श्री हरिमंदिर साहिब में प्रवेश नहीं करने दिया और द्वारा बंद कर दिए।
एतिहास में जिक्र है कि उस वक्त गुरु तेग बहादुर साहिब  कुछ समय के लिए हरिमंदिर साहिब के बाहर बैठे और यह कहते हुए चले गए, "अमृतसर के मसंद महत्वाकांक्षा की आग से जल रहे हैं," और वल्ला में आए जहां वे गांव के बाहर एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठे थे। एक धर्म निष्ठ बूढ़ी औरत माई हारो के अगुआई में गांव की संगत, गुरु साहिब के दर्शन करने के लिए आई। गुरु साहिब 17 दिनों तक माई हारो जी के कच्चे घर में रहे। और जाने के समय उसे आशीर्वाद दिया " माईयां रब्ब रजियां "
जब अमृतसर के लोगों को पता चला कि गुरु तेग बहादुरजी को स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है और वे इस स्थान पर आए हैं,तो वे गुरु को वापस लेने के लिए यहां आए। गुरुजी ने जाने से इनकार कर दिया,लेकिन लोगों को आशीर्वाद दिया कि यदि लोग पूर्णिमा के दिन मेले के दौरान इस गुरुद्वारे में पहुंचेगें तो उनको गुरु घर की खुशियां मिलती रहेंगी।
 हर वर्ष फरवरी माह में,पूर्णिमा के दिन यहां आयोजित होने वाले वार्षिक मेले को मनाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस पवित्र स्थान पर आते हैं। यहां धार्मिक कार्यक्रम करीब एक माह तक चलते रहते है। यहां लगने वाला मेला अटूट आस्था और भक्ति की अनूठी मिसाल है। अमृतसर में जन्मे गुरु तेग बहादुर, श्री गुरु हरगोबिंद के पांच पुत्रों में सबसे छोटे थे। मुगलों के साथ युद्ध के दौरान वीरता दिखाने के लिए उनके पिता ने उन्हें तेग बहादुर नाम दिया। अपने युवा वर्षों के दौरान तेग बहादुर ने अपने पिता के साथ लड़ाई लड़ी, लेकिन 1634 में करतारपुर में गुरु हरगोबिंद की भयंकर और खूनी लड़ाई के बाद, उन्होंने त्याग और ध्यान के मार्ग की ओर रुख किया।
गांव वल्ला में गुरु तेग बहादुर का 17 दिन का प्रवास ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हुआ। आज दूर दूर से संगत यहां मनोकामनाएं पूरी होने पर नतमस्तक होने के लिए आते हैं। लोग अपनी अलग अलग जाति या पंथ के बावजूद इस पवित्र स्थान पर जाते हैं और भाईचारे और एकता की मिसाल कायम करते हैं। गुरुद्वारे में समानता के सिद्धांत को कायम रखते हुए लंगर भी चलता रहता है।
— पंकज शर्मा


अमृतसर की अनाज मंडियों में सरकारी खरीद है लगातार जारी

 अमृतसर की अनाज मंडियों में सरकारी खरीद है लगातार जारी

क्रासर—
—सरकारी एजेंसियां अभी तक पूरा नहीं कर पाई है सात लाख 23 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य
पंकज शर्मा , अमृतसर
पंजाब सरकार की ओर से एक अप्रैल से गेंहू की खरीद शुरू की गई खरीद लगातार जारी है। अमृतसर जिले में चाहे गेहूं की खरीद नौ अप्रैल से शुरू हो गई थी। इस बार सरकारी एजेंसियों की जगह निजी एजेंसियां गेहूं की खरीद अधिक कर  रही है।
अमृतसर जिले में से सरकार की ओर से इस बार सात लाख 23 हजार मीट्रिक टन गेंहू की खरीद का लक्ष्य रखा गया था परंतु गुरुवार शाम तक सरकार की ओर से पाच लाख 22 हजार 610 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। इस बार गर्मी अधिक पड़ने के कारण गेहूं का दाना सिकुंड़ गया है जिस से प्रति एकड़ उत्पादन भी तीन क्विंटल तक कम हुआ है।
अमृतसर जिले में इस बार 57 मंडियों, पांच अस्थाई यार्ड और नौ  राईस मिलों में कुल 71 खरीद सेंटर स्थापित किए गए है। विभाग ने खरीद को मुख्य रख सभी प्रबंध कर लिए है। इस बार यहां सरकारी खरीद एजेंसियों पनसप,वेयरहाउस,पनग्रेन,पंजाब एग्रो, मार्कफैड व  एफसीआई की ओर से गेहूं की सरकारी खरीद की जा रही है वहीं प्राईवेट एजेंसियों की ओर से भी बड़े स्तर पर खरीद की जा रही है। एजेंसियां 12 प्रतिशत नमी वाला गेंहू 2010 रुपय प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीद रही है जबकि प्राईवेट एजेंसियों की ओर से 2015 रुपय के हिसाब से गेहूं खरीदा जा रहा है।
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—18 अप्रैल 2022 तक अमृतसर की मंडियों में आया कुल गेंहूं182515 मीट्रिक टन
कुल सरकारी खरीद 165772 मीट्रिक टन
कुल प्राईवेट खरीद 3664 मीट्रिक टन
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— 19 अप्रैल 2022 तक मंडियों में आया कुल गेहूं 236511 मीट्रिक टन
कुल सरकारी खरीद 219748 मीट्रिक टन
कुल प्राईवेट खरीद 4414 मीट्रिक टन
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— 20 अप्रैल 2022 तक मंडियों में आया कुल गेहूं 291779 मीट्रिक टन
कुल सरकारी खरीद 267536 मीट्रिक टन
कुल प्राईवेट खरीद 12192
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— 21 अप्रैल 2022 तक मंडियों में आया कुल गेहूं 320006 मीट्रिक टन
कुल सरकारी खरीद 288394 मीट्रिक टन
कुल प्राईवेट खरीद 20163 मीट्रिक टन
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—22 अप्रैल 2022 तक मंडियों में पहुंचा कुल गेहूं 368767 मीट्रिक टन
कुल सरकारी खरीद 51679 मीट्रिक टन
कुल प्राईवेट खरीद 24747 मीट्रिक टन
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— 23 अप्रैल 2022 तक मंडियों में पहुंचा कुल गेहूं 400057 मीट्रिक टन
कुल सरकारी खरीद 364553 मीट्रिक टन
कुल प्राईवेट खरीद 26921 मीट्रिक टन

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— 24 अप्रैल 2022 तक मंडियों में पहुंचा कुल गेहूं 431389 मीट्रिक टन
कुल सरकारी खरीद 392768 मीट्रिक टन
कुल प्राईवेट खरीद 31037 मीट्रिक टन
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—25 अप्रैल 2022 तक मंडियों में पहुंचा कुल गेहूं 461499 मीट्रिक टन
कुल सरकारी खरीद 418262 मीट्रिक टन
कुल प्राईवेट खरीद 36983 मीट्रिक टन
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— 26 अप्रैल 2022 तक मंडियों में पहुंचा कुल गेहूं485139 मीट्रिक टन
कुल सरकारी खरीद 437403 मीट्रिक टन
कुल प्राईवेट खरीद 43522 मीट्रिक टन
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— 27 अप्रैल 2022 तक मंडियों में पहुंचा कुल गेहूं 504643 मीट्रिक टन
कुल सरकारी खरीद 451191 मीट्रिक टन
कुल प्राईवेट खरीद 50178 मीट्रिक टन

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अमृतसर जिले की अनाज मंडियों में अभी तक 297441 मीट्रिक टन अभी तक लिफ्टिंग का इंतजार कर रहा है। जिस में प्राईवेट एजेंसियां का 3473 मीट्रिक टन पड़ा हुआ है जबकि सरकारी एजेंसियों का 293968 मीट्रिक टन गेहूं लिफ्टिंग का इंतजार कर रहा है।
— पंकज शर्मा

क्या है करतारपुर साहिब का इतिहास जहां सिर्फ सिख ही नहीं मुसलमान भी झुकाते हैं सिर

 

क्या है करतारपुर साहिब का इतिहास जहां सिर्फ सिख ही नहीं मुसलमान भी झुकाते हैं सिर

 पाकिस्तान में होने के बावजूद भारत के श्रद्धालु कैसे करते हैं दर्शन?

पाकिस्तान का छोटा सा गांव जो नरुआल से करीब एक घंटे की दूरी पर बसा हुआ है। लेकिन इसकी असली पहचान ये नहीं है। असल में वो दुनियाभर के सिखों के दिलों में बसा हुआ है। यहां 'दरबार साहिब' नामक गुरुद्वारा है जो सिखों के सबसे पवित्र जगहों में से एक है।

1947 के भारत के बंटवारे के दौरान अगर किसी ने सबसे ज्यादा इस बंटवारे का दंश झेला तो वो है पंजाब राज्य। पंजाब के लोगों ने इस बंटवारे में न सिर्फ अपनों को खोया बल्कि उन्होंने एक चीज और खो दी और वो थे उनके धार्मिक स्थल। सिखों के कई गुरुओं के जन्मस्थान बंटवारे के बाद पाकिस्तान में ही रह गए। यहां तक की सिखों के पहले गुरु गुरुनानकदेव जी ने अपनी आखिरी सांस यहीं ली। इन धार्मिक स्थलों पर माथा टेकने के लिए सिख संगतें हमेशा आतुर रहती हैं। लेकिन कभी वीजा तो कभी दोनों मुल्कों के बीच के तनावपूर्ण हालात इनके अरमानों पर पानी फेर देते हैं। करतारपुर से सिखों का कनेक्शन क्या है?

पाकिस्तान का छोटा सा गांव जो नरुआल से करीब एक घंटे की दूरी पर बसा हुआ है। लेकिन इसकी असली पहचान ये नहीं है। असल में वो दुनियाभर के सिखों के दिलों में बसा हुआ है। यहां 'दरबार साहिब' नामक गुरुद्वारा है जो सिखों के सबसे पवित्र जगहों में से एक है। क्योंकि ये सिखों का पहला गुरुद्वारा है। कहते हैं कि गुरुनानक देव ने ही करतारपुर को बसाया भी था। यहीं पर गुरुनानक देव की मिट्टी भी है। इतिहास के अनुसार 1522 में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक करतारपुर आए थे। उन्होंने अपनी ज़िंदगी के आखिरी 17-18 साल यही गुजारे थे। 22 सितंबर 1539 को इसी गुरुद्वारे में गुरुनानक जी ने आखरी सांसे ली थीं। इसलिए इस गुरुद्वारे की काफी मानयता है। लेकिन बंटवारे के समय ये जगह पाकिस्तान में चली गई। भारत का गुरदासपुर बॉर्डर यहां से सिर्फ 3 किलोमीटर की दूरी पर है। इतनी पास होकर भी सिख आसानी से करतारपुर नहीं जा सकते। भावनात्मक रूप से वो इतना जुड़े हैं कि वहां जाना चाहते हैं। इसलिए करतारपुर का मामला संवेदनशील हो जाता है।

सिर्फ सिख ही नहीं मुसलमान भी यहां पर सिर झुकाते हैं

कहते हैं कि जब नानक गुजरे तो उनकी लाश गायब हो गई। लाश की जगह कुछ फूल पड़े मिले। आधे फूल सिख ले गए और उन्होंने फूल को जलाकर नानक का अंतिम संस्कार कर दिया। ऊपर समाधि बना दी गई। मुसलमानों ने अपने हिस्से में आए आधे फूलों को दफनाकर इस्लामिक दस्तूरों के मुताबिक क्रियाक्रम कर दिया। करतारपुर गुरुद्वारे में वो समाधि और वो कब्र अब भी मौजूद है। कब्र बाहर आंगन में और समाधि इमारत के अंदर है। इतने सालों बाद भी मुसलमान गुरुनानक की दर पर आते हैं। जहां सिखों के लिए नानक उनके गुरु हैं वहीं मुसलमानों के लिए नानक उनके पीर हैं।

करतारपुर साहिब कॉरिडोर क्या है?

भारत में पंजाब के डेरा बाबा नानक से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक कॉरिडोर का निर्माण किया गया है और वहीं पाकिस्तान भी सीमा से नारोवाल जिले में गुरुद्वारे तक कॉरिडोर का निर्माण हुआ है। इसी को करतारपुर साहिब कॉरिडोर कहा गया है।

कॉरिडोर कहां बनाया गया?

इस कॉरिडोर को डेरा बाबा नानक जो गुरुदासपुर में है, वहां से लेकर अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर तक बनाया गया है। यह बिलकुल एक बड़े धार्मिक स्थल के जैसा ही है। यह कॉरिडोर लगभग 3 से 4 किमी का है और इसको दोनों देशों की सरकारों ने फंड किया है।

भारत के श्रद्धालु कैसे करते हैं दर्शन

बंटवारे के बाद पाकिस्तान में चले जाने के बाद भारत के नागरिकों को करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए वीजा की जरुरत होती है। जो लोग पाकिस्तान नहीं जा पाते हैं वो भारतीय सीमा में डेरा बाबा साहिब नानक स्थित गुरुद्वारा शहीद बाबा सिद्ध सैन रंधावा में दूरबीन की मदद से दर्शन करते हैं। ये गुरुद्वारा भारत की तरफ की सीमा से साफ नजर आता है। पाकिस्तान में सरकार इस बात का ध्यान रखती है कि इस गुरुद्वारे के आस-पास घास जमा न हो पाए, इसलिए इसके आस-पास कटाई-छटाई करवाती रहती है ताकि भारत से इसको अच्छे से देखा जा सके और श्रद्धालुओं को कोई तकलीफ न हो। भारत के सिखों ने हमेशा ऐसे वीजा फ्री कॉरिडोर की मांग की है जिसके जरिये वो जब चाहे गुरुद्वारे में दर्शन करने लौट आए। गुरुनानक देव की 550वीं जयंती से पहले सिद्धू इमरान खान की ताजपोशी में पाकिस्तान गए। पाकिस्तान के आर्मी चीफ बाजवा को गले भी लगाया। जिसको लेकर देश में खूब राजनीतिक बवाल भी हुआ। लेकिन वहां से लौटकर 7 सितंबर 2018 को सिद्धू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये ऐलान कर दिया कि गुरुनानक जयंती पर पाकिस्तान करतारपुर से जुड़ी सीमा खोलने वाला है। करतारपुर कॉरिडोर खोलने का एलान होने के बाद दोनों देशों में शिलान्यास कार्यक्रम रखा गया। सिद्धू भारत में आयोजित शिलान्यास कार्यक्रम में तो नहीं आए। लेकिन पाकिस्तान में आयोजित शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंच गए। हालांकि वहां केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल और हरदीप पुरी भी गए थे। कोविड-19 के प्रकोप के कारण करतारपुर साहिब गुरुद्वारे तक तीर्थयात्रा मार्च 2020 में निलंबित कर दी गई थी।

करतारपुर को लेकर फिर से क्यों चर्चा होने लगी 

श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व से पहले केंद्र सरकार ने फिर से करतारपुर कॉरिडोर खोलने का फैसला किया है। गुरु पर्व 19 नवंबर को है, इससे पहले मोदी सरकार सिख तीर्थयात्रियों के हित में ये बड़ा फैसला किया है। इसे 16 मार्च, 2020 को कोरोना महामारी के कारण बंद कर दिया गया था। पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की थी कि सिख संगत की भावनाओं का सम्मान करते हुए 19 नवंबर से पहले करतारपुर कॉरिडोर खोल दिया जाए। इससे पहले पंजाब के बीजेपी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस दौरान नेताओं ने उनसे अनुरोध किया कि गुरुपर्व से पहले करतारपुर कॉरिडोर को पुन: खोला जाए।


——7 गुरु नानक देव जी के साथ संबंधित गुरुद्वारे——— अमृतसर के आसपास

——7 गुरु नानक देव जी के साथ संबंधित गुरुद्वारे——— अमृतसर के आसपास

सतिगुरु नानकु प्रगटिआ मिटि धुंधु जग चानणु होआ
—श्री गुरु नानक देव जी के चरण जहां पड़े वहां बने ऐतिहासिक गुरुद्वारे
पंकज शर्मा
अमृतसर। श्री गुरु नानक देव जी महान आध्यात्मिक चिंतक व समाज सुधारक थे। गुरु जी विश्व के अनेक भागों में गए और मानवता के घर्म का प्रचार किया। यहां यहां गुरु साहिब के चरण पड़े वहां आज ऐतिहासिक गुरुद्वारे बने हुए है। गुरू जी का जन्म राय भोईं की तलवंडी में पिता महिता कालू एवं माता तृप्ता के घर सन् 1469 ई. में हुआ। वास्तव में गुरु जी का अवतरण बैसाख शुक्ल पक्ष तृतीया को हुआ परन्तु सिख जगत में परंपरा अनुसार आपका अवतार पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। अपनी चार यात्राों के दौरान  गुरु जी ने विश्व के अनेक भागों में गए और मानवता के घर्म का प्रचार किया।
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 विलक्षण व्यक्तित्व के मालिक थे गुरु साहिब
गुरु जी के महान व्यक्तित्व के विषय में भाई गुरदास ने कहा है'सतिगुरु नानकु प्रगटिआ मिटि धुंधु जग चानणु होआ।' यानि उनके आने से संसार से अज्ञान की धुंध समाप्त होकर ज्ञान का प्रकाश फैला। पंजाब में आपके चरण जहां-जहां पड़े वहां आज ऐतिहासिक गुरुद्वारे सुशोभित हैं ।
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ननकाना साहिब
श्री गुरु नानक जी का जन्म स्थान होने के कारण यह जगह सबसे पवित्र स्थलों में से एक मानी जाती है। ननकाना साहिब में जन्मस्थान समेत 9 गुरुद्वारे हैं, जिसमें श्रद्धालुओं की आस्था है। ये सभी गुरु नानक देव जी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं से जुड़े हैं। यहां देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी श्रद्धालु मत्था टेकने पहुंचते हैं। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित शहर ननकाना साहिब का नाम ही गुरु नानक देव जी के नाम पर पड़ा है। इसका पुराना नाम 'राय भोई दी तलवंडी' था। यह लाहौर से 80 किमी दक्षिण-पश्‍िचम में स्थित है और भारत में गुदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक से भी दिखाई देता है। गुरु नानक देव जी का जन्म स्थान होने के कारण यह विश्व भर के सिखों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। महाराजा रणजीत सिंह ने गुरु नानक देव के जन्म स्थान पर गुरुद्वारे का निर्माण करवाया था। यहां गुरुग्रंथ साहिब के प्रकाश स्थान के चारों ओर लंबी चौड़ी परिक्रमा है, जहां गुरु नानक देव जी से संबंधित कई सुन्दर पेंटिग्स लगी हुई हैं। ननकाना साहिब में सुबह तीन बजे से ही श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। रंग-बिरंगी रोशनियों से जगमग करता ननकाना साहिब एक स्वर्गिक नजारा प्रस्तुत करता है। दुनिया भर से हजारों हिन्दू, सिख गुरु पर्व से कुछ दिन पहले ननकाना साहिब पहुंचते हैं और दस दिन यहां रहकर विभिन्न समारोहों में भाग लेते हैं।
गुरु नानक देव के जन्म के समय इस जगह को 'रायपुर' के नाम से भी जाना जाता था। उस समय राय बुलर भट़टी इस इलाके का शासक था और बाबा नानक के पिता उसके कर्मचारी थे। गुरु नानक देव की आध्यात्मिक रुचियों को सबसे पहले उनकी बहन नानकी और राय बुलर भट़टी ने ही पहचाना। राय बुलर ने तलवंडी शहर के आसपास की 20 हजार एकड़ जमीन गुरु नानकदेव को उपहार में दी थी, जिसे 'ननकाना साहिब' कहा जाने लगा। जिस स्थान पर गुरु नानक जी को पढ़ने के लिए पाठशाला भेजा गया, वहां आज पट़टी साहिब गुरुद्वारा शोभायमान है।
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श्री करतारपुर साहिब
गुरु जी करतारपुर साहिब (अब पाकिस्तान में) में आकर बस गए और 17 साल यहीं रहे। वह खेती का कार्य करने लगे। यहीं सन् 1532 ई. में भाई लहिणा आपकी सेवा में हाजिर हुए और सात वर्ष की समर्पित सेवा के बाद गुरु नानक देव जी के उत्तराधिकारी के रूप में गुरगद्दी पर शोभायमान हुए। गुरु नानक देव जी 22 सितंबर 1539 ई. को ज्योति जोत समाए। इस स्थान पर गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए थे। इसलिए इस गुरुद्वारे की काफी मान्यता है। करतारपुर साहिब पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है। आज स गुरुद्वारा में आने जाने के लिए श्रद्धालुाओं को भारत  और पाकिस्तान ने सुविधा देते हुए कोरिडोर दिया है।
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बटाला में श्री कंध साहिब

बटाला स्थित श्री कंध साहिब में गुरु जी की बारात का ठहराव हुआ था। इतिहासकारों के अनुसार सम्वत 1544 यानी 1487 ईस्वी में गुरु जी की बारात जहां ठहरी थी वह एक कच्चा घर था। जिसकी एक दीवार का हिस्सा आज भी शीशे के फ्रेम में गुरुद्वारा श्री कंध साहिब में सुरक्षित है। इसके अलावा आज यहां गुरुद्वारा डेरा साहिब है, जहां श्री मूल राज खत्री जी की बेटी सुलक्खनी देवी को गुरु नानक देव जी सुल्तानपुर लोधी से बारात लेकर ब्याहने आए थे। गुरुद्वारा डेरा साहिब मेंं आज भी एक थड़ा साहिब है, जिस पर माता सुलक्खनी देवी जी तथा श्री गुरुनानक देव जी की शादी की रस्में पूरी हुई थीं। इन गुरुघरों की सेवा संभाल का काम शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी कर रही है। हर साल उनके विवाह की सालगिरह पर सुल्तानपुर लोधी से नगर कीर्तन यहां पहुंचता है।

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डेरा बाबा नानक के गुरुद्वारा श्री चोला साहिब में है गुरु नानक देव जी का चोला

भारत और पाकिस्तान सरहद के पास बसे जिला गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक में सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी ने अपने अंतिम दिन बिताए थे। यह नगर गुरुद्वारों का नगर भी कहलाता है। यहां गुरुद्वारा बड़ा दरबार साहिब, गुरुद्वारा श्री चोला साहिब, बाबा श्री चंद जी का दरबार गांव पखोके टाहली साहिब और गांव चंदू नंगल में भी स्थित है। यहां स्थापित गुरुद्वारा चोला साहिब में श्री गुरु नानक देव जी की तरफ से यात्राओं के समय पहना गया पहरावा है, जो एक चोला था, वो आज भी शीशे के फ्रेम में वहां मौजूद है। जहां गुरुद्वारा साहिब बना है, उस मोहल्ले का नाम भी श्री चोला साहिब ही है। इस स्थान पर हर साल मेला एक हफ्ते से अधिक तक चलता है जो ‘चोला साहिब दा मेला’ से मशहूर है। इस कारण डेरा बाबा नानक में बना गुरुद्वारा चोला साहिब लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
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गुरु साहिब का जीवन अध्यात्मिक था

गुरु नानक देव जी के पिता महिता कालू खेतीबाड़ी और व्यापार करते थे और साथ ही इलाके के जागीरदार राय बुलार के द्वारा नियुक्त गांव के पटवारी भी थे। पिता की इच्छा थी कि पुत्र उनका खानदानी कारोबार संभाले सो बचपन में गुरु जी को गोपाल पंडित के पास भाषा, पंडित बृज लाल के पास संस्कृत एवं मौलवी कुतबुद्दीन के पास फारसी पढ़ने के लिए भेजा। पठन-पाठन के समय में गुरु जी की आध्यात्मिक प्रवृत्तियों को पहचान कर गुरु-जन नतमस्तक हुए बिना न रह सके। सांसारिक कार्य-व्यवहारों से उदासीनता और आध्यात्मिक रंग में रचे रहने की आपकी रुचि 'सच्चे सौदे' जैसे प्रसंगों से और मुखर हुई जब आपने व्यापार के लिए पिता से मिले बीस रुपये साधु-संतों को भोजन कराने में खर्च कर दिए। इसी प्रकार 'सर्प की छाया' और 'चरे खेत का हरा होना' जैसे प्रसंगों ने भी गुरु जी की आध्यात्मिक क्षमता को जनता पर प्रकट किया।
मोदीखाने में नौकरी की। पुश्तैनी धंधे में लगाने पर असफल रहने पर पिता ने आपको बहन बेबे नानकी और बहनोई जै राम के पास सुल्तानपुर लोधी भेज दिया। यहां गुरु जी को नवाब के मोदीखाने में नौकरी मिल गई। गुरु जी मोदीखाने में पूरी कर्तव्यनिष्ठा के साथ सामान बेचते और साथ ही जरूरतमंदों को मुफ्त में सामान बांटते रहते। ईष्र्यालुओं ने नवाब दौलत खां से शिकायत की। मोदीखाने का हिसाब-किताब जंचवाया गया तो सब कुछ दुरुस्त निकला।
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यात्राएं
13 वर्ष तक मोदीखाने में नौकरी करने के बाद गुरु नानक देव जी ने लोक कल्याण के लिए चारों दिशाओं में चार यात्राएं करने का निश्चय किया जो चार उदासियों के नाम से प्रसिद्ध हुईं। सन् 1499 ई. में आरंभ हुई इन यात्राओं में गुरु जी भाई मरदाना के साथ पूर्व में कामाख्या, पश्चिम में मकका-मदीना, उत्तर में तिब्बत और दक्षिण में श्रीलंका तक गए। मार्ग में अनगिनत प्रसंग घटित हुए जो विभिन्न साखियों के रूप में लोक-संस्कार का अंग बन चुके हैैं। सन् 1522 ई. में उदासियां समाप्त करके आपने करतारपुर साहिब को अपना निवास स्थान बनाया।
— पंकज शर्मा

 

पंजाब के नेता हमें मुफ्तखोरी की आदत डाल रहे, इससे बचकर हमे अपने दायित्व को समझना होगा : मन्ना

 शक्ति नगर में लोगों को जागरूक करने के लिए पहुंचे समाज सेवक मनदीप सिंह मन्ना

पंजाब पर आज चार लाख करोड़ रुपये का कर्ज, यही कर्ज लोगों से वसूल रही है सरकार

अमृतसर : समाज सेवक मनदीप सिंह मन्ना ने कहा कि सरकारों से अपील की है कि पंजाब को बचाया जाए। पंजाब में आज नशा पूरी तरह से फैलता जा रहा है जो युवाओं को अपनी दलदल में जकड़ रहा है। नतीजतन 15 से 22 साल का नौजवान पंजाब में दिख नहीं रहा है। कुछ विदेशों की ओर भाग रहा है तो कुछ नशे की तरफ जा रहा है। पंजाब के हालात एेसे हो चुके है कि आज जगह-जगह नशा छुड़ाओं खोलने की जरुरत पड़ रही है। कहीं अफीम छुड़ाने के लिए नशा छुड़ाओं केंद्र खुले है तो कुछ चिट्टा छुड़वाने के लिए। इसके अलावा दूसरी ओर देखा जाए तो पंजाब में जगह-जगह आइलेट्स सेंटर और विदेश भेजने के लिए इमीग्रेशन के दफ्तर खुले हुए दिख रहे है। आज जरुरत है पंजाब को बचाने की और इसके लिए हम सभी को आवाज उठानी होगी। समाज सेवक मनदीप सिंह मन्ना शक्ति नगर स्थित जय हो क्लब के प्रधान विक्की दत्ता की तरफ से आयोजित कार्यक्रम के दौरान संबोधित कर रहे थे। वह पंजाब के अलग-अलग मुद्दों को लेकर लोगों की राय जानने के लिए जागरूकता कार्यक्रम कर रहे है। इस दौरान नाटक मंडली की तरफ से पंजाब को नशों से बचाने के लिए नाटक का मंचन भी किया गया और लोगों को अपने बच्चों को नशों से दूर रहने की अपील की गई।  
उन्होंने कहा कि किसी समय पंजाब की पहचान खेतीबाड़ी होती थी। अमृतसर को कपड़े का घर कहा जाता था। इतना ही नहीं कई अमर शहीदों ने पंजाब की धरती पर जन्म लिया। लेकिन आज पंजाब को नशों के लिए जाना जाता है। पंजाब के जिन युवाओं के पास पैसा है, वह विदेशों की तरफ भाग जाते है और जिनके पास पैसे नहीं है वह नशों में लग जाते है। आज कैसे पंजाब को बचाया जाएगा। इस पर विचार करने के लिए ही वह जनता के बीच खुद उतरे है। अपने पंजाब, अपने शहर को बचाने के लिए हम सभी को लड़ना होगा। उन्होंने कहा कि बठिंडा में एक क्षेत्र जिसे किसी समय साहिबजादा अजीत सिंह नगर के नाम से जाना जाता है, आज उस रोड को आइलेट्स सेंटर के नाम से जाना जाता है। एेसा ही हाल रंजीत एवेन्यू में भी है। वहां भी जगह-जगह आइलेट्स सेंटर खुले हुए है। आज किसी भी नौजवान से पूछ लो कि उसने पढ़ कर क्या करना है तो वह यही कहता है कि उसने आइलेट्स करके विदेश चले जाना है। उन्होंने कहा कि आज पंजाब के हालात यह है कि किसी घर में पांच-पांच बच्चे नशा करके मर गए और बुजुर्ग आटा-दाल मांग कर मर रहे है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों के बच्चे विदेश जा चुके है, उनके 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों ने एक ग्रुप बना रखा है कि अगर किसी को कुछ हो जाता है तो एक दूसरे का हाल उस व्हाट्सअप ग्रुप में जानते है। बच्चे विदेश चले जाते है और उनके बुजुर्ग यहां बीमारियों से लड़ते होते है। मां-बाप को बुढ़ापे के समय पैसे की जरुरत नहीं, उन्हें बच्चों की जरुरत होती है। अभी वह विदेश होकर आए है तो वहां भी हालात बदतर है। वहां पंजाब के नौजवान नौकरी के लिए तरस रहे है। एक बेसमेंट में 20-20 बच्चे रह रहे है। उन्होंने उन बच्चों से अपील की है कि जो विदेश जाना चाहते है और नशा कर रहे है, वह लोग पंजाब का सोचे, अपने शहर का सोचे और अपने मां-बाप का सोचे। हम अपना घर बचाने की जगह अपनी जिंदगी को सफल बनाने में लगे है. उसके पीछे नहीं देखते कि हमारे देश को आजाद करवाने में कितनी कुर्बानियां दी है। लेकिन आज भी हम गुलाम है। उन्होंने कहा कि बड़ी हैरानी की बात है कि अब किसी के मरने पर भी उनके कार्यक्रम का ठेका लेकर काम करने वाली कंपनियां खुल गई है। यह कंपनियां मरने वाले का कार्यक्रम आयोजित करती है और उसमें वह तय करती है कि किरया क्रम में कौन से फूल आने है और वहां पर भीड़ एकत्रित करने के लिए भी वह ही लोग लेकर आते है। इन कंपनियों को खासकर वह लोग ठेका देते है, जिनके बच्चे विदेश गए होते है और वह अपने बुजुर्गों के मरने के समय नहीं आ पाते। एेसा पंजाब हमारा नहीं था। उन्होंने कहा िकि अलग-अलग पार्टियों के नेता लोगों के पास जब आते है, तो कई वायदे करते है। कोई 10 किलो आटा देने का लालच देता है, तो कोई 20 किलो और कोई 40 किलो आटा देने का लालच देता है। इस सबसे दूर हटकर अपना दायित्व समझना होगा।
उन्होंने कहा कि पंजाब पर चार लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। यह कर्जा सरकार के ऊपर नहीं बल्कि पंजाब के लोगों पर है। अगर आंकड़ों पर गौर करे तो पंजाब के प्रति व्यक्ति पर सवा लाख रुपये का कर्ज है। इसमें बच्चे और बुजुर्ग दोनों ही शामिल है। इसके लिए प्रति महीना 1250 रुपये लोगों से ब्याज लिया जा रहा है, जो उन्हें पता ही नहीं चल पाता है। 20 किलो आटा और बिजली फ्री देकर अन्य सामानों को महंगा कर दिया जाता है। इनमें रोजाना की इस्तेमाल होने वाली चीजे शामिल है। उन्होंने कहा कि फ्री कुछ नहीं दिया जाता। उन्होंने यह मुहिम इसलिए शुरु की है कि हम लोग अपने हक तो समझे। उन्होंने कहा कि पंजाब को जो अफसर चलाते है, आज उनके बच्चे भी विदेशों में ही है। एेसा इसलिए है कि उन्हें पता है कि उनके बच्चे सेफ नहीं है। उन्होंने कहा कि हम लोग मुफ्तखोरी के गुलाम हो चुके है। हमे इस सोच को खत्म करना होगा। पंजाब के नेता सिर्फ रेत-बजरी, बिजली की लड़ाई लड़ रहे है। जबकि उन्हें इस पर लड़ना चाहिए कि पंजाब के युवाओं को किस तरह से नशे से बचाना है। उन हालातों पर कोई भी गौर नहीं करता। पंजाब की बेटियों के भी हालात बदतर है। उन्होंने कहा कि बड़ी ही हैरानी की बात है कि अमृतसर में लड़कियों का पंजाब का पहला डी एडिक्शन सेंटर खोला गया है। इससे साफ है कि पंजाब की बेटियां भी नशा कर रही है। पहले पंजाब में आतंकवाद था, अब गैंगस्टरवाद हो गया है। बुलेटप्रूफ ट्रैक्टर चलने लगे है। इतना ही नहीं पंजाब में बच्चे पैदा होने की संख्या भी कम हो गई है। पहले सवा पांच लाख के करीब बच्चे पैदा होते थे, लेकिन अब दो सवा दो लाख बच्चे पैदा होते है। इसका कारण यह है कि पंजाब के बच्चे विदेश जा रहे है और वहां पर ही शादी करवा रहे है और वहीं बच्चे पैदा कर रहे है। उन्होंने कहा कि वह आवाज उठाने की कोशिश कर रहे है और हमेशा उठाते रहेंगे। यह मुहिम उन्होंने गांव-गांव चलाई है। नेताओं को यही संदेश दिया जा रहा है कि वह बच्चों को किस तरह से पढ़ाएंगे। नशों को कैसे खत्म करेंगे। उन्होंने कहा कि आज जो लोग हमे आगे लेकर जाना है, उनसे तो हम दरकिनार हो रहे है। लेकिन जो लोग हमें नशों और हथियारों से जोड़ रहे है, उन्हें हम 10-10 लाख रुपये देकर स्टेजों पर बुलाते है। उन्होंने कहा कि आज पंजाब को अगर बचाना है तो हमे आगे आना होगा। हमे जागरूक होकर नेताओं से पूछना होगा कि हमारे कितने युवाओं को रोजगार मिला है, कितने बहन बेटियों को सुरक्षा मिली। हमारा कारोबार कितना बढ़ा है। बुजुर्गों को कितना ईलाज फ्री मिला है। उन्होंने कहा कि हम लोग आटा दाल में ही उलझ कर रह गए है। हम लोग अपने बच्चों को अंग्रेजों की गुलामी करने के लिए भेज देते है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि अगर हम पंजाब को तरक्की की राह पर लेकर जाना चाहते है तो हमें अपने दायित्व को निभाना होगा।


अनोखी मोहब्बत

 अनोखी मोहब्बत

आज कहीं सुना उस अनोखी मोहब्बत के बारे मे,
खुद ही खुद से मोहब्बत के बारे में...
ये दुनिया वाले भी कमाल करते हैं,
बातें हजार करते हैं,
मोहब्बत में मर-मिट जाने की,
खुद से पहले उसपे जान गवाने की...
तु जिक्र करता था हर बात में उसका,
तु सुनना चाहता था हर पल उसको,
तु शायद ढूंढने लगा था उसमें खुद को...
आज पूछ खुद से,
क्या नहीं टूटे वो वादे तेरे?
क्या नहीं टूटे वो सपने तेरे?
क्या नहीं टूटा ये दिल तेरा?
...
टूट गया है तू,
खुद से पहले उसकी फ़िक्र करते-करते,
खुद से पहले उसके लिए लड़ते-लड़ते...
शायद डरने लगा है तू,
इस दिन के अंधेरे से, शायद ढूंढ रहा है खुद को रात के उजाले में...
...
क्यूं ना इस बार खुद ही खुद से मोहब्बत करके देख,
खुद से खुद के लिए वादे करके देख,
खुद से खुद के लिए मुस्कुरा के देख,
खुद से खुद के लिए सपने सजा कर देख,
खुद से अपने आंसू पोंछ कर देख,
खुद से खुद में दिल लगा कर देख,
वादा है मेरा तुझसे,
इस बार खुद के लिए कुछ करके देख!
क्योंकि कभी नहीं सिखाती ये दुनिया इस अनोखी मोहब्बत के बारे में खुद ही खुद से मोहब्बत के बारे में...।
- दीक्षा सचिन

केन्‍द्र सरकार हमारे शैक्षणिक संस्‍थानों के अंतर्राष्‍ट्रीय लक्ष्‍यों के लिए प्रतिबद्ध है : प्रधानमंत्री

 प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा लिखित एक कॉलम साझा किया।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उल्लिखित हमारे शैक्षणिक संस्थानों के अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध है।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया:

"हमारी सरकार, नई शिक्षा नीति (एनईपी) के अंतर्गत हमारे शैक्षणिक संस्थानों के अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रीश्री धर्मेंद्र प्रधान जी ने अपने लेख में इस भावना को साझा करते हुए लिखा है - आईआईटी-दिल्ली अबू धाबी परिसर और आईआईटी-मद्रास ज़ांज़ीबार परिसर, इस प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।"

आरईसीपीडीसीएल ने पांच अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन परियोजना एसपीवी सफल बोलीदाताओं को दिया

आरईसी पावर डेवलपमेंट एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (आरईसीपीडीसीएल)आरईसी लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी - विद्युत मंत्रालय के तत्वावधान में एनबीएफसी महारत्न केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम - ने टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन परियोजनाओं के लिए गठित पांच परियोजना- विशिष्ट विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) सौंप दिया है।

मैसर्स पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल)मैसर्स इंडिग्रिड 2 लिमिटेड और इंडिग्रिड 1 लिमिटेड (कंसोर्टियम) और मैसर्स अप्रावा एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय की आईएसटीएस ट्रांसमिशन परियोजनाओं के लिए सफल बोलीदाता बने हैं, जिसमें आरईसीपीडीसीएल बोली प्रक्रिया का समन्वयक है।

एसपीवी को 09 फरवरी2024 को आरईसीपीडीसीएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारीश्री राजेश कुमार और आरईसीपीडीसीएलआरईसी लिमिटेडपीजीसीआईएलकेंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) और सीटीयूआईएल के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में सफल बोलीदाताओं को सौंपा गया।

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आरईसीपीडीसीएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री राजेश कुमार ने कहा कि केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, श्री आर. के. सिंह और विद्युत सचिव श्री पंकज अग्रवाल के दूरदर्शी निर्देशों के अनुरूपआरईसीपीडीसीएल देश की विद्युत की मांग को पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा सुधारों के विकास को सुनिश्चित करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी के लिए ट्रांसमिशन पद्धति के विकास के लिए टैरिफ-आधारित प्रतिस्पर्धी बोली (टीबीसीबी) बहुत बड़ा अभियान है और आरईसीपीडीसीएल को टीबीसीबी मार्ग के माध्यम से परियोजनाओं के पुरस्कार के लिए बोली प्रक्रिया समन्वयक होने का विशेषाधिकार प्राप्त है।

इस अवसर परआरईसीपीडीसीएल ने दामोदर घाटी निगम की 100 मेगावाट पवन ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना करने के लिए सफल बोलीदाताओं, मेसर्स अयादा एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड और मैसर्स जुनिपर ग्रीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को पुरस्कार पत्र (एलओए) भी प्रदान किया। ये एलओए विद्युत मंत्रालय की "नवीकरणीय ऊर्जा और भंडारण विद्युत के साथ बंडलिंग के माध्यम से थर्मल/ हाइड्रो पावर स्टेशनों के उत्पादन और शेड्यूलिंग में लचीलेपन की योजनाके अंतर्गत दिए गए हैं।

आरईसी लिमिटेड के बारे में: आरईसी लिमिटेड एक एनबीएफसी है जो पूरे भारत में बिजली क्षेत्र का वित्तपोषण एवं विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। 1969 में स्थापितआरईसी लिमिटेड ने 50 से ज्यादा वर्षों से संचालन का काम पूरा किया है। यह संपूर्ण बिजली-क्षेत्र मूल्य श्रृंखला को वित्तीय सहायता प्रदान करता है जिसमें विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं के लिए उत्पादनट्रांसमिशन, वितरण और नवीकरणीय ऊर्जा शामिल है। हाल ही मेंआरईसी ने हवाई अड्डोंमेट्रोरेलवेबंदरगाहों और पुलों जैसे क्षेत्रों को कवर करने के लिए गैर-बिजली अवसंरचना और रसद क्षेत्रों में भी विविधता लेकर आया है।

आरईसीपीडीसीएल के बारे में: आरईसी पावर डेवलपमेंट एंड कंसल्टेंसी लिमिटेडआरईसीपीडीसीएलआरईसी लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है50 से ज्यादा राज्य बिजली वितरण कंपनियों और राज्यों के बिजली विभागों को ज्ञान आधारित परामर्श और विशेषज्ञ परियोजना कार्यान्वयन सेवाएं प्रदान कर रही है।

आरईसीपीडीसीएल ट्रांसमिशन लाइन परियोजनाओं और आरई-बंडलिंग परियोजनाओं में टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली (टीबीसीबी) के लिए बोली प्रक्रिया समन्वयक (बीपीसी) के रूप में कार्य कर रहा है। प्रधानमंत्री विकास पैकेज परियोजनाओं के अंतर्गतआरईसीपीडीसीएल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में वितरण और ट्रांसमिशन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अवसंरचना अपग्रेड परियोजनाओं को निष्पादित कर रहा है। आरईसीपीडीसीएल अपने विशेषज्ञ परामर्शपरियोजना कार्यान्वयन और हस्तांतरण सलाहकार सेवाओं के साथदेश के विद्युत क्षेत्र मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व सरकार शिखर सम्मेलन 2024 में भाग लिया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 14 फरवरी 2024 को दुबई में विश्व सरकार शिखर सम्मेलन में सम्मानित अतिथि के रूप में भाग लिया। वे संयुक्त अरब अमीरात के उपराष्ट्रपतिप्रधानमंत्रीरक्षा मंत्री और दुबई के शासक महामहिम शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम के निमंत्रण पर शिखर सम्मेलन में गए है। प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में - "भविष्य की सरकारों को आकार देना" विषय पर मुख्य भाषण दिया। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2018 में विश्व सरकार शिखर सम्मेलन में सम्मानित अतिथि के रूप में भाग लिया था। इस बार शिखर सम्मेलन में 20 वैश्विक नेताओं की भागीदारी रही इनमें 10 राष्ट्रपति और 10 प्रधानमंत्री शामिल हैं। वैश्विक सभा में 120 से अधिक देशों की सरकारों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने शासन के बदलते स्वरूप पर अपने विचार साझा किये। उन्होंने "न्यूनतम सरकारअधिकतम शासन" के मंत्र पर आधारित भारत के परिवर्तनकारी सुधारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय अनुभव को साझा करते हुए बताया कि देश ने कल्याणसमावेशिता और स्थिरता को आगे बढ़ाने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का लाभ कैसे उठायाउन्होंने शासन के लिए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण का आह्वान किया। उन्होंने एक समावेशी समाज का लक्ष्य हासिल करने के लिए जन-भागीदारीअंतिम व्यक्ति तक सुविधाओं की पंहुच और महिलाओं के नेतृत्व पर आधारित विकास पर भारत के फोकस को रेखांकित किया।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि विश्व की परस्पर जुड़ाव की प्रकृति को देखते हुएसरकारों को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए आपसी सहयोग करना चाहिए और एक-दूसरे से सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि शासन का समावेशीतकनीकी-स्मार्टस्वच्छ, पारदर्शी और हरित पर्यावरण को अपनाना समय की मांग है। इस संदर्भ मेंउन्होंने बलपूर्वक कहा कि सरकारों को सार्वजनिक सेवा के प्रति अपने दृष्टिकोण में जीवन में सरलतान्याय में आसानीगतिशीलता में आसानीनवाचार में आसानी और व्यापार करने में आसानी को प्राथमिकता देनी चाहिए। जलवायु परिवर्तन कार्रवाई के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता पर उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे एक टिकाऊ दुनिया के निर्माण के लिए मिशन लाईफ (पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली) में शामिल हो।

प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष जी-20 की अध्यक्षता के रूप में दुनिया के समक्ष भारत की विभिन्न मुद्दों और चुनौतियों पर निभाई गई नेतृत्वकारी भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। इस संदर्भ मेंउन्होंने ग्लोबल साउथ के सामने आने वाली विकास संबंधी चिंताओं को वैश्विक चर्चा के केंद्र में लाने के लिए भारत के प्रयासों पर प्रकाश डाला। बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार प्रकिया का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें निर्णय लेते समय ग्लोबल साउथ की कठिनाईयों और आवाज को उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत "विश्व बंधु" के रूप में वैश्विक प्रगति में योगदान देना जारी रखेगा।