गुरुवार, 15 फ़रवरी 2024

अनोखी मोहब्बत

 अनोखी मोहब्बत

आज कहीं सुना उस अनोखी मोहब्बत के बारे मे,
खुद ही खुद से मोहब्बत के बारे में...
ये दुनिया वाले भी कमाल करते हैं,
बातें हजार करते हैं,
मोहब्बत में मर-मिट जाने की,
खुद से पहले उसपे जान गवाने की...
तु जिक्र करता था हर बात में उसका,
तु सुनना चाहता था हर पल उसको,
तु शायद ढूंढने लगा था उसमें खुद को...
आज पूछ खुद से,
क्या नहीं टूटे वो वादे तेरे?
क्या नहीं टूटे वो सपने तेरे?
क्या नहीं टूटा ये दिल तेरा?
...
टूट गया है तू,
खुद से पहले उसकी फ़िक्र करते-करते,
खुद से पहले उसके लिए लड़ते-लड़ते...
शायद डरने लगा है तू,
इस दिन के अंधेरे से, शायद ढूंढ रहा है खुद को रात के उजाले में...
...
क्यूं ना इस बार खुद ही खुद से मोहब्बत करके देख,
खुद से खुद के लिए वादे करके देख,
खुद से खुद के लिए मुस्कुरा के देख,
खुद से खुद के लिए सपने सजा कर देख,
खुद से अपने आंसू पोंछ कर देख,
खुद से खुद में दिल लगा कर देख,
वादा है मेरा तुझसे,
इस बार खुद के लिए कुछ करके देख!
क्योंकि कभी नहीं सिखाती ये दुनिया इस अनोखी मोहब्बत के बारे में खुद ही खुद से मोहब्बत के बारे में...।
- दीक्षा सचिन

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