गुरुवार, 15 फ़रवरी 2024

जल संरक्षण का भी विद्याथियों को पाठ पढ़ा रहा है जीएनडीयू का इंवायरमेंट एंव बाटेनिकल सांइस विभाग

— नगर निगम की ओर सभी जल संरक्षण के लिए नई इमारातों पर लागू किए जा रहे है नियम

पंकज शर्मा , अमृतसर
गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अच्छी शिक्षा के साथ जल संरक्षण की दीक्षा भी विद्यार्थियों को दे रहा है। ताकि बारिश की बूंदों को अमृतसर में तबदील किया जाए।
वर्षा जल संचय का आदर्श पेश करने वाले विश्वविद्यालय में इस व्यवस्था को शुरू करने के लिए इन्वायरामेंटल एंड बॉटेनिकल साइंस विभाग के पूर्व मुखी प्रो.आदर्श पाल की अहम भूमिका रही है। डा अदर्शपाल आज कल राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन है। डा आदर्श की कोशिश से बरसातों में विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कांप्लेक्स की छत पर जमा होने वाला वर्षा का जल चैनल होते हुए सूखे तालाब में जाकर धरती की प्यास बुझा रहा है।
डा. आदर्श ने बताया कि गुरु नानक देव विश्वविद्यालय करीब 500 एकड़ रकबे में फैला हुआ है। दो हजार वर्ग गज में बने प्रशासकीय कांप्लेक्स की छत पर जमा बारिश का पानी जाया हो जाता था। करीब नौ वर्ष पहले उन्होंने वर्षा जल संचय के संबंध में तत्कालीन वीसी व रजिस्ट्रार से बात की। उन्होंने इसकी हामी भर दी। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से करीब छह लाख रुपये खर्च कर कांप्लेक्स की छत पर जमा पानी को सूखे तालाब में एकत्रित कर धरती की प्यास बुझाई जाती है। छत में जमा बरसाती पानी को तालाब तक ले जाने के लिए बकायदा पक्के चैनल बनाए गए हैं। ढालनुमा चैनल से होकर हर साल मानसून के दिनों में वर्षा का पानी तालाब में जाकर धरती को तर कर रहा है। इस पानी से विभाग के बोटेनिकल बाग में स्थित अलग अलग पौधों की सिंचाई की जाती है। बोटेनिकल गार्डन में अलग अलग पौधों के संरक्षण के लिए जो प्रोजेक्ट लगाए गए है उन में भी वर्षा के पानी को ही उपयोग में लाया जाता है।
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बहुत सारे शिक्षण संस्थानों ने भी लगाए है वर्षा के जल संरक्षण प्रोजेक्ट
प्रो. आदर्श कहते हैं कि हम नागरिकों को शिक्षित करते हैं। इसलिए सबसे पहले हमें उदाहरण प्रस्तुत करना होगा। जनता को प्रेरणा देने के लिए वर्षा जल संचय की कोशिश की गई। इससे प्रेरित होकर कई अन्य निजी स्कूल और कालेजों में भी वर्षा जल का संचय किया जा रहा है। खालसा कालेज में भी यह प्रोजेक्ट लगाया हुआ है। इसी तरह सरकारी कालेज में भी प्रोजेक्ट लगा है। कुछ स्कूलों ने भी इस पर काम किया है।
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सभी इमारतों पर वर्षा का जल संचय का लगाया जाए प्रोजेक्ट
डा आदर्शपाल कहते हैं कि उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से आग्रह किया गया है कि बाकी इमारतों में भी वर्षा जल संचय की व्यवस्था की जाए। इसके अलावा नए होने वाले भवन निर्माण में भी छत पर जमा होने वाले वर्षा के  जल का उपयोग विश्विद्यालय में पौधों के लिए किया जाए। सफाई के लिए भी इस जल का उपयोग हो सकता है।
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नगर सुधार ट्रस्ट ने भी लगाए रीचार्जिग वेल

नगर सुधार ट्रस्ट ने भी रंजीत एवेन्यू स्थित डिस्ट्रिक्ट शॉपिंग कांप्लेक्स में जमा होने वाले पानी से धरती को तर करने के लिए छह वर्ष पहले रीचार्जिग वेल लगाए हैं। स्थानीय निकाय विभाग के चीफ इंजीनियर राजीव  सेखड़ी ने कहा कि कांप्लेक्स में बरसाती पानी जमा हो जाता था, जिससे सीवर अक्सर जाम रहता था। इसलिए ट्रस्ट प्रशासन ने वर्षा जल के संचय के लिए यहां पर रीचार्जिग वेल लगवाए थे।
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कामर्शियल कांप्लेक्स में लग रहे हैं रेन वाटर हार्वेस्टिंग

निगम के एमटीपी नरिंदर शर्मा कहते है कि शहर में जितने भी नए माल, मल्टीप्लेक्स, होटल, सिनेमा समेत जितने भी कामर्शियल कांप्लेक्स बन रहे हैं, उन सभी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाए जा रहे हैं ताकि वर्षा जल का संचय हो सके। रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाने पर ही उन्हें कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिया जाता है।
— पंकज शर्मा

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