गुरुवार, 15 फ़रवरी 2024

जल ही जीवन है, बिन जल सब सून

अमृतसर: 

जल ही जीवन है, बिन जल सब सून. हम सभी सुनते हैं। परंतु जल को बचाने के लिए कोशिशें नाममात्र है। बारिश कुदरती पानी का सबसे बड़ा स्त्रोत है। बारिश के पानी को संभालने के लिए लोग प्रयास नहीं करते। आंकड़ों के अनुसार देश में हर वर्ष 8760 घंटे बारिश होती है। पंजाब में यह बारिश अब 100 घंटे ही होती है।

अमृतसर में स्थिति वर्ष में सिर्फ 70 से 80 घंटे बारिश की है। अगर आज हम बारिश का पानी संभालने के लिए गंभीर न हुए तो वह दिन दूर नहीं जब जल के लिए तरसना पड़ेगा। बस इसी चिंता ने महानगर के पर्यावरण प्रेमी दीपक बब्बर को वर्षा जल के सदुपयोग के लिए प्रेरित किया। साथ ही जल, जमीन, हवा और प्रकृति की रक्षा के लिए प्रयासरत हुए। वर्ष 1993 में उन्होंने मिशन आगाज नाम की एनजीओ बनाकर पानी के सदुपयोग और हरियाली की रक्षा के लिए अभियान चलाया। जो आज भी जारी है। आज सरकारी संस्थान जहां बारिश का पानी संभालने के प्रति लापरवाह है वहीं बब्बर इसे संभालने के लिए अभियान चला रहे हैं। बब्बर ने अपने घर में देसी ढंग से बारिश का पानी संभालने के लिए प्रयास शुरू किया। इसे संस्था के अमृतसर में 160 सदस्यों ने अपनाया है। घरों में जमीन में टैंक बनाकर पानी इस्तेमाल करने को कर रहे प्रेरित
 यह एनजीओ अब लोगों को अपने घरों में भूमि के अंदर एक वाटर टैंक बनाने के लिए प्रेरित करके पानी इकट्ठा कर इसे जरूरत के अनुसार उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रही है। जिले की आधा दर्जन नर्सरियों में बारिश के पानी का उपयोग पौधों की सिंचाई के लिए करवाया जा चुका है। बब्बर ने बताया कि वह छत से आने वाले बारिश के पानी को टब व बड़े ड्रमों में भरते हैं। फिर इसे पौधों के लिए उपयोग में लाते हैं। इसके अलावा शौचालय और कपड़े धोने के लिए भी इस्तेमाल करते है। कैंप लगाकर लोगों को बताते हैं वर्षा जल के लाभ
वह कैंप लगाकर स्कूलों, कालेजों के विद्यार्थियों और लोगों को भी वर्षा जल के फायदे बताते हैं। बारिश के पानी में नाइट्रोजन की मात्रा 80 प्रतिशत से अधिक होती है। इसलिए इस पानी से पौधे जल्दी बढ़ते फूलते हैं। इस पानी में फासफोर्स व गंधक होने के कारण इससे नहाने वालों के चर्म रोग ठीक हो जाता है। बारिश के पानी से अगर कपड़े धोएं तो बहुत कम मात्रा में डिटजर्ेंट और सर्फ का उपयोग होता है। संस्था के सदस्य बारिश का संभाल कर रखते हैं और इसे इनवर्टर की बैटरी में उपयोग करते आ रहे हैं।

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