शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

पंजाब में भी पैदा होगा अब बढिया क्वालिटी का केला

— गुरु नानक देव विश्वविद्यालय  के कृषि विभाग की ओर पंजाब के मौसम के मुताबिक केले का पौधे एक जा रहे है तैयार

पंकज शर्मा
अमृतसर । गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के कृषि विभाग की ओर से पंजाब के वातावरण के अनुसार राज्य में केला का उत्पादन बढ़ाने व इस की खेती व्यापारिक स्तर पर शुरू करवाने के लिए शोध की जा रही है। विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा केले का पौधा तैयार किया जा रहा है, जो पंजाब के मौसम के अनुसार विकसित होगा और केले का भरपूर उत्पादन देगा।  ताकि पंजाब में केले की खेती की जा सके और इसका लाभ किसानों को मिल सके। राज्य में केले की खपत बहुत ज्यादा है। राज्य में करीब 650 करोड़ रूपये का केले का कारोबार होता है। करीब 500 एकड़ भूमि पर केले की खेती की जा रही है। पंजाब में पैदा होने वाला केला अभी बढिया क्वालिटी का नही है। इस पर शोध करके इसका उत्पादन और क्वालिटी बढ़ाने की कोशिश हो रही है। अभी राज्य में केले की किंग साइज ग्रेड नैंसी जीन —9 क्वालिटी पर शोध कर विकसित किया जा रहा है। इस समय देश में केले के उत्पादन में आंध्र प्रदेश सब से आगे है। इस के बाद महाराष्ट्र और गुजरात का नाम है। केवल इतना ही नहीं पूरी दुनिया की बात करें तो केला उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। ऐसे में बड़ी मात्रा में भारत से केला विश्व के अन्य राज्यों को निर्यात होता है। बावजूद इसके केले की बहुत ज्यादा मांग रहती है। ऐसे में अगर पंजाब में केले की खेती होने लगेगी तो यहां से भी केला अन्य देशों को जाएगा। जिसका फायदा सीधे तौर पर पंजाब के किसानों को मिलेगा।
पंजाब में लुधियाना, फिरोजपुर, मुक्तसर, बरनाला, संगरूर,मोगा और फतेहगढ़ साहिब जिलों का मौसम व वातावरण केले की खेती के लिए सही पाया गया है।

गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के खेतीबाड़ी विभाग के मुखी डा. प्रताप सिंह पत्ती ने बताया कि उनकी ओर से केले की बेहतर क्वालिटी और अमृतसर के मौसम व मिट्टी के अनुकूल बनाने पर काम किया जा रहा है। जिसमें काफी ज्यादा सफलता भी मिल रही है। जीएनडीयू में यहां के मौसम के मुताबिक टिश्यू तैयार किए जा रहे है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि मौजूदा समय में बाजार में से मिलने वाला केला से बेहतर क्वालिटी की फल तैयार किया जा सके। उन्होंने बताया कि पंजाब में केले की खेती  बहुत ही कम है। हालांकि कुछ जगहों पर अब किसान केले के पौधे लगा रहे है। मगर अच्छी क्वालिटी का केला तैयार नहीं हो पा रहा है। यही कारण है पौधे को यहां के वातावरण के अनुकूल बनाया जा रहा है। जल्द ही पंजाब में भी इसकी खेती बढ़े स्तर पर हो शुरु हो जाएगी।
डा. पत्ती ने बताया कि कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के मुताबिक भारत का केले का निर्यात मात्रा और मूल्य दोनों के लिहाज से बढ़ा है। 2018-19 में 1.34 लाख मीट्रिक टन केले का निर्यात हुआ था जिसकी कीमत 413 करोड़ रुपये थी। 2019-20 में निर्यात बढ़कर 1.95 लाख मीट्रिक टन हो गया जिसकी कीमत 660 करोड़ रुपए थी। 2020-21 में,भारत ने 619 करोड़ रुपये मूल्य के 1.91 लाख टन केले का निर्यात किया है। जबकि निर्यात में मांग ढाई लाख टन से भी ज्यादा है। ऐसे में अगर पंजाब में भी इसकी खेती होती है तो इस मांग को पूरा किया जा सकता है।
जीएनडीयू के कृषि विभाग की ओर से केले के पौदे के अलग अलग टिशु लैब में तैयार किए जा  रहे है। जो पंजाब के मौसम के अनुसार भरपूर उत्पादन देंगे। इस से किसानों को गेंहू व धान के फसल चक्क से निकलने में सहायता मिलेगी वहीं किसानों की आर्थिक हालत भी मजबूत होगी। वहीं राष्ट्र व अंतरराष्ट्रीय स्तर  पर पंजाब का किसान भी फलों की खेती में अपना नाम उपरी श्रेणी में दर्ज करवा सकेगा।


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