शुक्रवार, 18 मार्च 2022

नानकशाही कैलेंडर ने पूर्ण रूप में सिख पंथ को रखा है दो हिस्सा में बांट कर

— एसजीपीसी के महासचिव भी कैलेंडर मामले पर रखते है एसजीपीसी के अध्यक्ष से विचारों से अलग लाईन

पंकज शर्मा , अमृतसर
सिख पंथ में नानक शाही कैलेंडर को लागू करने का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। सिख पंथ के अंदर यहां रेडिकल ग्रुप मूल नानक शाही कैलेंडर को लागू करने के पक्ष में वहीं कुछ संगठन और एसजीपीसी संशोधित नानक शाही कैलेंडर को लागू करने का समर्थन करते है। जबकि पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी भी मूल नानक शाही कैलेंडर के आधार पर ही सिख गुरु साहिब के पवित्र दिन मनाती है। जबकि एसजीपीसी संशोधित नानक शाही कैलेंडर के अनुसार गुरु साहिब के दिन त्योहार मनाती है। इसके चलते कई बार कुछ दिन एक वर्ष में दो—दो बार आ जाते है। जिस से सिख पंथ के अंदर पवित्र दिन मनाने को लेकर दुविधा पैदा हो जाती है।
अकाल तख्त साहिब के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने गत रविवार को संशोधित नानक शाही कैलेंडर श्री अकाल तख्त साहिब के रिलीज करके सिख पंथ को इस कैलेंडर के अनुसार पवित्र दिन मानने का आह्वान किया गया था। यह कैलेंडर एसजीपीसी की ओर से तैयार किया गया था।
मंगलवार को रेडिकल सिख संगठन दल खालसा ने नेताओं और वर्करों ने भी नानक शाही कैलेंडर श्री अकाल तख्त साहिब पर अरदास करने के बाद रिलीज किया। जोकि मूल नानक शाही कैलेंडर था। उन्होंने ने भी सिख पंथ को मूल नानक शाही कैलेंडर के अनुसार सिख गुरुओं के पवित्र दिन मूल नानक शाही कैंलेडर के अनुसार मनाने का आह्वान किया। एसजीपीसी के कुछ पदाधिकारी और अध्यक्ष यहां संशोधित नानकशाही कैलेंडर के पक्ष में है वहीं एसजीपीसी के महासचिव करनैल सिंह पंजौली मूल नानकशाही कैलेंडर के पक्ष में है।जिस के चलते नानकशाही कैलेंडर को लेकर सिख पंथ में विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहे है। पंजौली संशोधित नानक शाही कैलेंडर रिलीज करने के कार्यक्रम में नहीं पहुंचे थे जिस में अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कैलेंडर जारी किया था। परंतु दल खालसा की ओर से रिलीज किए मूल नानक शाही कैलेंडर के कार्यक्रम में पहुंचे। इस दौरान दल खालसा ने एक ज्ञापन भी पंलौजी को सौंपा जिसमें मांग की गई कि सिख कौम अपनी अलग पहचान मूल नानक शाही कैलेंडर को अपनाए नाकि संशोधित नानक शाही कैलेंडर को अपनाया जाए। दल खालसा के के नेता कवंरपाल सिंह बिट्टू दावा है कि संशोधित नानक शाही कैलेंडर बिक्रमी कैलेंडर का दी दूसरा रूप है।
उधर एसजीपीसी के महासचिव करनैल सिंह पंजौली ने कहा कि वे मूल नानक शाही कैलेंडर को एसजीपीसी की ओर से स्वीकार किए जाने का मामले एसजीपीसी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी के ध्यान में लाया जाएगा और एसजीपीसी की कार्यकारिणी कमेटी में भी यह मामला उठाया जाएगा कि संशोधित नानक शाही कैलेंडर की जगह मूल नानक शाही कैलेंडर को स्वीकार किया जाए।
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क्या है नानकशाही कैलेंडर विवाद सिख पंथ में

कुछ वर्षों से सिख पंथ में रेडिकल व कुछ अन्य ग्रुप सिख पंथ को अलग कौम बताते आ रहे है। इस की पहचान भी अलग है इस पर चर्चा करते है। इसी के चलते कहा जा रहा है कि अगर सिख एक अलग कौम है तो इस का कैलेंडर भी अलग होना चाहिए। जिस के चलते विदेश में रहने वाले एक सिख पाल सिंह पूरेवाल ने वर्ष 2003 में एक कैलेंडर तैयार करके एसजीपीसी के माध्यम से जारी करवाया गया। जो कि सूर्य गति के आधारति था। पहले सिख पंथ में चद्रमां की गति पर आधारित बिक्रमी कैलेंडर के अनुसार ही प्रत्येक त्योहार व धार्मिक दिन आयोजित किए जाते थे।
पंरतु सिख पंथ में दमदमी टकसाल मेहता की अगुआई वाले सिख संत समाज ने पाल सिंह पूरेवाल के कैलेंडर में कई दोष निकाल कर संशोधित नानक शाही कैलेंडर एसजीपीसी को जारी करने के लिए वर्ष 2010 में कहा। एसजीपीसी ने पूरेवाल के मूल नानक शाही कैलेंडर में कुछ संशोधन करके संशोधित नानक शाही कैलेंडर रिलीज कर दिया। इस के बाद भी संशोधित नानक शाही कैंलेंडर में कुछ तुरूटियां रह गई। जो समय समय पर दिन त्योहारों को लेकर विवाद बनती थी। सिख संत समाज ने दोबारा इस बर संशोधित करवा कर वर्ष 2015 में एसजीपीसी से दोबारा सांशोधित किए गए नानकशाही कैलेंडर को रिलीज करवाया। तभी से लेकर मूल नानक शाही कैलेंडर और संशोधित नानक शाही कैंलेडर को लेकर सिख पंथ में विवाद बना हुआ है।
दल खालसा के नेता परमजीत सिंह मंड कहते है अगर सिख अलग धर्म है तो फिर सिखों को कैलेंडर भी मूल नानक शाही अलग होना चाहिए। उसमें बिक्रमी कैलेंडर को मिक्स नहीं करना चाहिए। जो कि एसजीपीसी करके रिलीज हर वर्ष करती है।
— पंकज शर्मा 

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