शुक्रवार, 18 मार्च 2022

गन्ना मिलों की तरफ पड़े बकाया के चलते जिले में कम हो रहा है गन्ना की खेती के अधीन क्षेत्र

— सरकार द्वारा मात्र 15 रूपय प्रति क्विंटल रेट वृद्धि को किया किसानों ने रद्द

— किसानों का रूझान भी जिले में काम हो रहा है गन्ना की खेती के तरफ
पंकज शर्मा , अमृतसर
पंजाब सरकार ने गन्ना के प्रति क्विंटल रेट में मात्र 15 प्रतिशत वृद्धि की है। जिस को किसान संगठनों ने रद्द कर दिया है। गुरुवार को गन्ना का रेट तय करने के लिए हुई बैठक में सिर्फ 15 रूपए प्रति क्विंटल की वृद्धि किया जाना किसानों को स्वीकार नही है। जिस के चलते 32 किसान संगठनों के इस के खिलाफ जालंघर में विशाल किसान रैली आयोजित करने का फैसला लिया है वहीं अमृतसर में अजनाला शूगर मिल भला पिंड के बाहर जम्हूरी किसान सभा की ओर से रोष प्रदर्शन करने का फैसला किया है।
अमृतसर जिले में पिछले करीब छह वर्षों से गन्ना के अधीन क्षेत्र में कोई भी वृद्धि नही हुई है बल्कि पहले के मुकाबले गन्ना के अधीन क्षेत्र कम ही हुआ है। अमृतसर जिले में करीब सात हजार एकड़ भूमि पर गन्ना की खेती की जा रही है। किसान आम तौर पर जिले में पीओ 238 किस्म गन्ना की फसल बीजते है। यूनिवर्सिटी विशेषज्ञ इस उत्पान 365 क्विंटल प्रति एकड़ तय करते है। परंतु कुछ किसानों की ओर से प्रति एक्ड़ 400 किवंटल का उत्पादन भी किया जाता है।अमृतसर जिले में दो शुगर मिलों की तरफ किसानों का करीब दस करोड़ से अधित की राशि बकाया पढ़ी है। नौ करोड़ के करीब अजनाला शुगर मिल भला पिंड और दो करोड़ के करीब शूगर मिल बुट्टर सिवियां की तरफ बकाया है।
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कृषि विभाग के गन्ना उतपादन विशेषज्ञ डा गुरिंदरजीत सिंह कहते है कि किसानों को गन्ना का उचित रेट न मिलने और चीनी मिलों की तरफ बकाया पड़ी राशि के कारण किसान गन्ना की खेती की तरफ रूझान को कम कर रहे है। बावजूद कृषि विभाग किसानों को अलग अलग योजनाओं के तहत किसानों को गन्ना की खेती के प्रति प्रोत्साहित करता है। चीनी मिलों की ओर से भी किसानों को कंट्रेक्स सिस्टम के तहत गन्ना बीजने के लिए प्रोत्साहित करते है। यह अभियान लगा तार चलता रहता है।
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जम्हूरी किसान सभा के अध्यक्ष डा सतनाम सिंह ने बताया कि पंजाब सरकार की ओर से गुरुवार गन्ना का रेट तय करने के लिए की गई बैठक में बहुत ही कम सिर्फ 15 रूपय रेट प्रति क्विंटल की वृद्धि की है। पंजाब में पहले 310 रूपय प्रति क्विंटल गन्ना का रेट था। 15 रूपय के वृद्धि के बाद यह रेट 325 रूपय हो गया है। जबकि प्रति क्विंटल गन्ना के उत्पादन पर किसान की लागत 375 रूपय आती है। किसानों की मांग थी कि 400 रूपय प्रति क्विंटल रेट सरकार गन्ना का तय करे। जबकि हरियाणा सरकार इस वक्त गन्ना का रेट 358 रूपय प्रति क्विंटल दे रही है। उन्हें बताया कि सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण ही किसानों का गन्ना की खेती के प्रति झुकाव कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारें हमेशा ही निजी चीनी मिल्लों के मालिकों के हकों की रक्षा करती है जिस के चलते गन्ना के अधीन क्षेत्र कम हो रहा है।

— पंकज शर्मा

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