शुक्रवार, 18 मार्च 2022

पराली को आग लगाने से रोकने के लिए जिला प्रशासन व कृषि विभाग किसानों को दे रहे है सहयोग

— पराली को खेतों में जजब करने के लिए उपयोग होने वाले मशीनरी रेंट की दी जा रही है सैल्फ हैल्प ग्रुपों, कोअप्रेटिव सोसायटियों व पंचातयों के माध्यम से

पंकज शर्मा ,अमृतसर
अमृतसर जिले में किसानों द्वारा पराली को आग लगाने की घटाएं हर वर्ष बढ़ती है। पराली को आग लगाने वाले किसानों के खिलाफ , सरकार के आदेशों पर  प्रशासन द्वारा कानूनी कार्रवाई की भी जाती है। जिले में इस बार करीब 167 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। कुछ को जुर्माने और उनके खिलाफ पुलिस के पास मामले भी दर्ज किए गए है। बहुत सारे किसानों के भूमि रिकार्ड में लाल सियाही से शिकायत भी दर्ज की गई है। जिस के तहत आरोपी किसानों को सबसिडी आदि में की कटौती का प्रावधान है।
प्रदूषण कंट्रोल व कृषि विभाग की ओर से स्थापित किए संयुक्त सैटेलाइट के माध्यम से खेतों में पारली को आग लगाने की सूचना विभागीय अधिकारियों के पास पहुंचती है। जिस के बाद आग लगाने वाले किसानों की खेतों की पहचान करके उनकी रिपोर्ट अगली कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन, कृषि विभाग, पुलिस विभाग, प्रदूषण कंट्रोल विभाग और रेवेन्यू रिकार्ड विभाग के पास पहुंचती है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही आगे कार्रवाई होती है।
अमृतसर जिले में एक लाख अस्सी हजार हैक्टेयर भूमि पर धान व बासमती की खेती की जाती है। जिस में 70 हजार हैक्टेयर भूमि पर बासमती की अलग अलग किस्में, व एक लाख दस हजार हैक्टेयर भूमि पर धान की अलग अगल किस्मों की खेती होती है। बासमती प्रति एकड़ औस्तन 17 से 18 क्विंटल उत्पादन होता है। जबकि धान का उत्पादन प्रति एकड़ करीब 30 से 35 क्विंटल होता है। बासमती की पराली कम होती है जबकि धान अधिक पराली पैदा करता है।
प्रशासन की ओर से पराली को आग न लगाने के लिए किसानों को प्रेरित करने के लिए गांव स्तर पर कैंप लगाए जा रहे है। जिस में कृषि विभाग और जिले के अलग अलग विभागों के अधिकारी भी शामिल होते है। कृषि विभाग की ओर से किसानों को पराली मैनेजमेंट करने के लिए कई तरह के सहयोग दिए जाते है। जिले में वर्ष 2018 से लेकर आज तक किसानों को खेती के लिए मशीनरी आदि की सुविधाएं देने के लिए सैल्फ हैल्प ग्रुप, कोअप्रेटिव सोसाइटियां और पंचायतों को भी मशीनरी आदि किसानों को रैंट पर देने के लिए व्यवस्था की गई है।
अमृतसर जिले में 343 सैल्फ हैल्प ग्रुप है। जिन से किसान पराली को मैनेज करने के लिए उपयोग होने वाली मशीनरी हासिल कर सकते है। इस के के पास 920 अलग अलग तरह की मशीनें है। इसी तरह जिले में 171 सहकारी सोसाइटियां है जिनके पास अलग अलग तरह की 650 मशीनें है। जबकि दो पंचायतें भी है जिन से किसान मशीनरी रेंट पर हासिल करके खेती कार्यों को संपन्न कर सकते है। इन पंचातयों के पास भी 12 अलग अलग तरह की मशीनें है।
इन में रोटा वेटर, हैपी सीडर,जीरो ट्रिल , उलट वाल्ट हैलट,मोलड मशीनें आदि उपलब्ध है।
प्रशासन की ओर से पराली को आग लगाने से रोकने के लिए जिला स्तर पर माल विभाग, पुलिस विभाग, प्रदूषण कंट्रोल विभाग, रेवेन्यू विभाग, पटारी, बिजली विभाग, जिला सिविल प्रशासन के अधिकारी लेकर कमेटियां बनाई जाती है। जो कमेटियों की ओर से रिपोर्ट तैयार होती है उस के हिसाब से आरोपी किसानों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है।
जिला कृषि विकास अधिकारी मस्तेंद्र सिंह कहते है कि इस मामले में अकेला कृषि विभाग काम नही करता बल्कि सारे विभागों के अधिकारियों की बनाई कमेटी और नोडल अधिकारी ज्वाइंट वर्क करते है। रवेन्यू आदि के साथ संबंधित मामलों पर कार्रवाई एडीएम स्तर के अधिकारी करते है।
अमृतसर जिले में पराली को मैनेज करने के लिए दो विधियां अपनाई जा रही है पहली विधि इनसेटू और दूसरी विधि एक्ससेटू है। पहली विधि के माध्यम से पराली को अलग अलग ढंग से खेतों में ही जजब किया जाता है। जबकि दूसरी विधि से पराली की मशीनों के साथ गाठे बना कर उनके अलग अलग कार्यों के लिए व्यापारिक स्तर पर उपयोग किया जाता है।
— पंकज शर्मा

कोई टिप्पणी नहीं: