पंकज शर्मा , अमृतसर
खालसाई उत्साह से हरिमंदिर सााहिब में भी मनाया जाता है होला-मोहल्ला
श्री हरिमंदिर साहिब में मोहल्ला पर उमड़ते है श्रद्धालु, पवित्र सरोवर में भी लगाई जारी है श्रद्धालुाओं की ओर से डुबकी।
वैसे तो आनंदपुर साहिब का होला मोहल्ला विश्व प्रसिद्ध है। परंतु जो श्रद्धालु आनंदपुर साहिब नहीं पहुचं पाते वह श्री हरिमंदिर साहिब में मोहल्ला के अवसर पर अपनी धार्मिक श्रद्धा प्रगट करते है। हरिमंदिर साहिब में मोहल्ला का त्योहार पुराने समय से ही मनाया जाता चला आ रहा है।
विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल श्री हरिमंदिर साहिब में खालसाई परंपरा, उत्साह और उमंग के साथ फूलों और इत्र से होला-मोहल्ला मनाया जाता। होला मोहल्ला मनाने के लिए देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु श्री हरिमंदिर साहिब पहुंचते है। श्रद्धालुओं पवित्र सरोवर में डुबकी लगाते है और श्री हरमंदिर साहिब के मुख्य भवन में सुशोभित श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सामने अरदास करते है।
सूरज ढलने के बाद रात्रि को श्री गुरु ग्रंथ साहिब को मनमोहक पालकी साहिब में सुशोभित कर सुख आसन के लिए सत नाम वाहेगुरु के जाप के साथ श्री अकाल तख्त साहिब में स्थित कोठा साहिब में ले कर जाया जाता है। तब परिक्रमा में खड़े लाखों श्रद्धालुओं की ओर से गुलाब के फूलों और इत्र का छिड़काव किया जाता है। मोहल्ले वाले दिन यह यह बहुत ही सुंदर व मनमोहन नजारा होता है । इस दौरान रात तक श्रद्धालु परिक्रमा में पाठ करते रहते है।
संगत की ओर से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी पर गुलाब के फूलों की वर्ष की जाती है था। संगत की ओर से पुष्प होली के दौरान अलग-अलग खुशबू वाले सेंट से वातावरण को सुगंधित बना दिया जाता है। ऐसे प्रतीत होता है कि जैसे सारे वातावरण में अलग-अलग फूलों की खुशबू वाली हवाएं चल रही हों। इस नजारे को देखने के लिए संगत सुबह से लेकर देर रात्रि तक श्री हरिमंदिर साहिब की परिक्रमा में बैठकर इंतजार करती रही। श्री गुरु ग्रंथ साहिब का जब श्री हरिमंदिर साहिब में प्रकाश किया गया था तब से ही यह परंपरा श्रद्धालुओं की ओर से गुरु साहिब के मान सम्मान में शुरू की गई थी। क्योकि सिख धर्म में श्री गुरु ग्रंथ साहिब को सच्चे पातशाह व राजा महाराजाओं से भी उपर का दर्जा दिया गया है। संगत उनसे आशीर्वाद लेने के लिए यह पुष्प होली , होला महल्ला वाले दिन हरिमंदिर साहिब में भी मनाती है।
— पंकज शर्मा
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