भट्ठों पर काम करने वाले वर्करों को लाक डाउन के दौरान भी उपलब्ध नहीं करवाया गया राशन
, अमृतसर
जिले के इंट भट्ठों पर काम करने वाले मजदूर मुश्कलों के दौर में गुजर रहे है। मजदूरों की सुनवाई न तो श्रम विभाग कर रहा है और न ही ईट भट्ठों के मालिकों की ओर से कोई सुध वर्करों और उनके परिवारों की ली जा रही है। इसी कारण बाहरी राज्यों से आई बहुत सारी अस्थाई लेकर अपने राज्यों को वापिस चली गई है। इन वर्करों को कई भट्ठा मालिकों की ओर से न तो घर वापिस जाने दिया जा रहा था और न ही उनको तय नियमों के अनुसार पूरा वेतन दिया जा रहा था। आज भी इंट भट्ठों पर काम करने वाले कई वर्करों की मजदूरी का पूरा पैसा उनको नहीं मिल रहा है।
हिंद मजदूर सभा व भट्टा मदूजूर संभा पंजाब के वरिष्ठ नेता कुलवंत सिंह बावा कहते है कि भट्ठा मजदूरों के दर्जनों केस उनके वेतनो, मजदूरी और अन्य सुविधाओं को लेकर लेबर कमिशनर के पास लंबित पडे है जिनकी सुनवाई नही हो रही है। मजदूरों को न्याय मिलने में देरी है वहीं अधिकारी कथित मिली भुगत के चलते मालिकों को राहत प्रदान करते रहते है जिस के चलते केस लम्बे चल रहे है। सरकार की ओर से एक मई 2020 को वर्करों के एक हजार इंटों के भरने पर 35 रूपये वृद्धि की गई थी। इस का पहले नोटिफकेशन जारी किया गया बाद में इसे वापिस ले लिया गया। फिर संगठन की ओर से संघर्ष करके 4 रूपए 50 पैसे की वृद्धि करवाई गई। सरकार ने भी भट्ठा मालिकों के साथ मिल कर वर्करों को मिलने वाली राहत का नोटिस वापिस ले लिया । उन्होंने बताया कि इस वक्त मजदूरों को 735 रूपए 95 पैसे प्रति हजार इंटों के दिए जा रहे है।
उन्होंने बताया कि इंट भट्टों पर सरकार के आदेशों पर प्रदूर्षण कम करने के लिए नई तकनीक को लागू किया है। परंतु वर्करों के वेतन और दिहाडी पुरानी तकनीक के अनुसार ही दी जा रही है। इंट भट्ठों पर वर्करों के लिए बढिया रिहायश, मेडिकल व अन्य सुविधाएं नही है। पीने के साफ पानी और शौचालयों की भी व्यवस्था नही है। लाक डाउन के चलते भट्ठों पर काम करने वर्करों को भी राशन व अन्य जरूरी वस्तुएं मालिकों की ओर से उपलब्ध नही करवाई गई है। कोरोना से बचाव के लिए इंर्ट भट्ठों पर अवश्यक सुविधाएं ही नहीं उपलब्ध करवाई गई है। संगठन की ओर से 3 जुलाई से वर्करों की मांगों को लेकर अंदोलन की शुरूआत की जा रही है।
बाक्स——
ईटं भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों स्वर्ण सिंह , बलविंदर सिंह , मंजीत कौर और कुलदीप कौर ने बताया कि जिले में 300 के करीब इंट भट्ठे है।जिनमे से 150 के करीब भट्ठों पर काम चल रहा है। प्रत्येक इंट भट्टे पर 120 के करीब वर्कर काम करते है। इसमें बहुत सारे वर्करों का रिकार्ड मालिकों की ओर से विभाग के पास पंजीकृत ही नही करवाया जाता। जो भी वर्कर नियमों के अनुसार अपनी डिमांड रखता है उसे काम से निकाल दिया जाता है। यहां तक कि मालिकों की ओर से उस वर्कर को किसी भी दूसरे इंट भट्ठे के उपर काम नहीं करने दिया जाता है। उनकी मांग है कि दिहाडी की जगह सरकार तकनीकी वर्करों का प्रतिमाह वेतन कम से कम 18 हजार रूपए तय करे। वर्करों से दस से 12 घंटे काम लिया जाता है जो आठ घंटे होना चाहिए। एडवांस सिस्टम के तहत लिए पैसे को एडजस्ट करने की नीति को पारदर्शी किया जाए। इंट भट्ठों पर 16 किस्म के वर्कर काम कर रहे है। कोविड 19 के चलते कई श्रेणियों वर्करों का रोजगार खत्म कर दिया गया है।
— पंकज शर्मा
जिले के इंट भट्ठों पर काम करने वाले मजदूर मुश्कलों के दौर में गुजर रहे है। मजदूरों की सुनवाई न तो श्रम विभाग कर रहा है और न ही ईट भट्ठों के मालिकों की ओर से कोई सुध वर्करों और उनके परिवारों की ली जा रही है। इसी कारण बाहरी राज्यों से आई बहुत सारी अस्थाई लेकर अपने राज्यों को वापिस चली गई है। इन वर्करों को कई भट्ठा मालिकों की ओर से न तो घर वापिस जाने दिया जा रहा था और न ही उनको तय नियमों के अनुसार पूरा वेतन दिया जा रहा था। आज भी इंट भट्ठों पर काम करने वाले कई वर्करों की मजदूरी का पूरा पैसा उनको नहीं मिल रहा है।
हिंद मजदूर सभा व भट्टा मदूजूर संभा पंजाब के वरिष्ठ नेता कुलवंत सिंह बावा कहते है कि भट्ठा मजदूरों के दर्जनों केस उनके वेतनो, मजदूरी और अन्य सुविधाओं को लेकर लेबर कमिशनर के पास लंबित पडे है जिनकी सुनवाई नही हो रही है। मजदूरों को न्याय मिलने में देरी है वहीं अधिकारी कथित मिली भुगत के चलते मालिकों को राहत प्रदान करते रहते है जिस के चलते केस लम्बे चल रहे है। सरकार की ओर से एक मई 2020 को वर्करों के एक हजार इंटों के भरने पर 35 रूपये वृद्धि की गई थी। इस का पहले नोटिफकेशन जारी किया गया बाद में इसे वापिस ले लिया गया। फिर संगठन की ओर से संघर्ष करके 4 रूपए 50 पैसे की वृद्धि करवाई गई। सरकार ने भी भट्ठा मालिकों के साथ मिल कर वर्करों को मिलने वाली राहत का नोटिस वापिस ले लिया । उन्होंने बताया कि इस वक्त मजदूरों को 735 रूपए 95 पैसे प्रति हजार इंटों के दिए जा रहे है।
उन्होंने बताया कि इंट भट्टों पर सरकार के आदेशों पर प्रदूर्षण कम करने के लिए नई तकनीक को लागू किया है। परंतु वर्करों के वेतन और दिहाडी पुरानी तकनीक के अनुसार ही दी जा रही है। इंट भट्ठों पर वर्करों के लिए बढिया रिहायश, मेडिकल व अन्य सुविधाएं नही है। पीने के साफ पानी और शौचालयों की भी व्यवस्था नही है। लाक डाउन के चलते भट्ठों पर काम करने वर्करों को भी राशन व अन्य जरूरी वस्तुएं मालिकों की ओर से उपलब्ध नही करवाई गई है। कोरोना से बचाव के लिए इंर्ट भट्ठों पर अवश्यक सुविधाएं ही नहीं उपलब्ध करवाई गई है। संगठन की ओर से 3 जुलाई से वर्करों की मांगों को लेकर अंदोलन की शुरूआत की जा रही है।
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ईटं भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों स्वर्ण सिंह , बलविंदर सिंह , मंजीत कौर और कुलदीप कौर ने बताया कि जिले में 300 के करीब इंट भट्ठे है।जिनमे से 150 के करीब भट्ठों पर काम चल रहा है। प्रत्येक इंट भट्टे पर 120 के करीब वर्कर काम करते है। इसमें बहुत सारे वर्करों का रिकार्ड मालिकों की ओर से विभाग के पास पंजीकृत ही नही करवाया जाता। जो भी वर्कर नियमों के अनुसार अपनी डिमांड रखता है उसे काम से निकाल दिया जाता है। यहां तक कि मालिकों की ओर से उस वर्कर को किसी भी दूसरे इंट भट्ठे के उपर काम नहीं करने दिया जाता है। उनकी मांग है कि दिहाडी की जगह सरकार तकनीकी वर्करों का प्रतिमाह वेतन कम से कम 18 हजार रूपए तय करे। वर्करों से दस से 12 घंटे काम लिया जाता है जो आठ घंटे होना चाहिए। एडवांस सिस्टम के तहत लिए पैसे को एडजस्ट करने की नीति को पारदर्शी किया जाए। इंट भट्ठों पर 16 किस्म के वर्कर काम कर रहे है। कोविड 19 के चलते कई श्रेणियों वर्करों का रोजगार खत्म कर दिया गया है।
— पंकज शर्मा
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