— फाइनंस कंपनियों व बैकों ने भी कोरोना प्रभाव के चलते लोन देने में इस बार नहीं दिखाई अधिक खुलदिली
पंकज शर्मा , अमृतसरकोरोना संकट के बाद किसानों द्वारा यहा देश के अलग अलग क्षेत्रों की अर्थ व्यवस्था में जांन फूंकेे जाने के दावे किए जा रहे है वहीं अमृतसर जिले में स्थित इस के पूरी तरह उल्ट है। यहां पर किसानों की ओर से इस अभी तक न तो कृषि कार्यों के लिए बढी संख्या में मशीनरी खरीदी गई और ना ही ट्रेक्टरों आदि की खरीद करके आटो इंडस्ट्री को बूस्ट करने की भूमिका निभाई है। अमृतसर जिले के पहले ही कर्ज के तले दबे अधिकत्म किसानों की ओर से अपने उत्पादों को बेच कर परिवार का भरण पोषण ही मुश्किल से किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि अमृतसर जिले में अधिकत्म छोटी किसानी वाले किसान है। जिनकी आमदनी बहुत अधिक नही है।
इसमें कोई शंका नही है कि गांवों की अर्थ व्यवस्था इस कोरोना काल में शहरों के मुकाबले अधिक प्रभावित नही हुई है। बावजूद इस बार जिले के किसानों की आर्थिक व्यवस्था में कोई अधिक बूस्ट भी नही आया है। चाहे राष्ट्रीय स्तर पर सरकारी आंकड़े इस बात का गवाह हैं कि ग्रामीण भारत की तस्वीर उत्साहजनक है। रबी की बंपर फसल हुई है और खरीफ की फसल के लिये मानसून के सही रहने ने अच्छे संकेत दे दिये हैं।
किसानों ने इस बार जिले में जून माह में ट्रैक्टर खरीद को उत्साह देने की जगह किराए पर ट्रेक्टर लेकर धान की रोपाई को संपन्न किया है। अमृतसर जिले में पिछले वर्ष जून के मुकाबले इस बार ट्रेक्टरों की खरीद में कोई अधिक वृद्धि नही हुई है।
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कोबाटा ट्रैक्टर के डीलर जैमल सिंह ने कहा कि इस बार फरवरी के बाद ट्रैक्टरों की खरीद में भारी गिरावट आई है। इस में कोई शक नही कि किसानों की ओर से ट्रेक्टरों की खरीद को लेकर इंक्वायरियां जरूर आई है। किसानों से अलग अलग नए माडल देखने व उनकी नवीनत तकनीक और कार्यप्रणाली समझने में रूची भी दिखाई है परंतु खरीद न मात्र ही है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार ट्रेक्टर खरीद में 60 प्रतिशत से अधिक की गिरावट रही है।
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महिंदरा ट्रेक्टर के डीजर अश्वनी मल्होत्रा कहते है कि इस बार कोरोना लाक डाउन के कारण फाइनास कंपनियों की ओर से भी लोगों को ट्रेक्टर आदि फाइनास करने के प्रति कोई अधिक रूची नही दिखाई। वहीं बहुत सारे बडे बैंकों ने भी किसानों को वाहनों आदि के लिए फाइनास नही किया है। हर फाईनास कंपनी और बैंक को यही डर रहा है कि कहीं कोरोना का प्रभाव बढने के कारण उनकी ओर से फाइनास की गई राशि कहीं डूब न जाए। इस लिए बैंक और फाइनास कंपनियों ने भी ट्रैक्टर व मशीनीरी आदि खरीद पर फाइनास करने में खुल दिली नही दिखाई। जिस के चलते ट्रैक्टर बिक्री नहीं हो पाई। फारवरी माह से ही अभी तक बिक्री का काम लगभग रूका हुआ है।
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नार्थन मोटर डीलर्स के मालिक त्रिलोक सिंह ने कहा कि इस बार ट्रैक्टरों की बिक्री बहुत ही कम रही है। इस की जगह छोटे टैपो ट्रक की तरफ खरीददारों का ध्यान अधिक रहा है। किसानों को कोरोना के प्रभाव के चलते सहकारी बैकों और अन्य सरकारी बैकों ने भी लोन देने में कई तरह की रूकावटें पैदा की थी जो ट्रैक्टर खरीद में आई गिरावट का मुख्य कारण बने।
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वरिष्ठ किसान व जम्हूरी किसान सभा के नेता सतनाम सिंह अजनाला और लखबीर सिंह कहते है कि गेंहू की फसल इस बार चाहे ठीक हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में सभी वस्तुए उपलब्ध व प्रत्येक व्यक्ति की पहुंच में होने के कारण कोरेाना का बहुत अधिक आर्थिक स्थिति पर नही पडा। गेंहू की फसल ठीक होने के बावजूद भी किसानों पर पहले ही कर्ज व अन्य अर्थिक बोझा इतने अधिक है कि वह न तो बचत कर पाए और नही ट्रैक्टर व अन्य जरूरी कृषि मशीनरी खरीद पाए है। कोरोना संकट के चलते किसानों ने नई मशीनरी खरीदे की जगह किराए पर ट्रेक्टर व मशीनरी लेकर इस बार धान की रोपाई की और गेंहू की कटाई को अंजाम दिया। माझा में अधिकत्म किसान छोटी किसानी के मालिक है। उनके उत्पादनों से मिले पैसे से सिर्फ उनके परिवारिक खर्च ही पूरे हो रहे है।
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