बुधवार, 11 नवंबर 2020

पंद्रह लाख लीटर तक रोजना दूध खप्त करते है अमृतसर जिले के लोग

 —विश्व दुग्ध दिवस पर —

— 600 के करीब दूध उत्पादक कर रहे है जिले के लोगों की दूध की जरूरत को पूरा
पंकज शर्मा , अमृतसर
दूध की मांग लगातार बढती जा रही है। जबकि पशुओं की संख्या समय के साथ कम हो रही है। कम दूध देने वाले पशुओं की जगह अब अधिक दूध देने वाले पशुओं की तरफ दूध उत्पादकों का रूझान बढ रहा है। यही कारण है कि आज अमृतसर जिले में 15 लाख लीटर से अधिक दूध का उत्पादन दूध देने वाले पशु कर रहे है। जिला में कुल दूध के उत्पादन की 55 प्रतिशत खप्त घरों में हो रही है। जबकि 45 प्रतिशत दूध मार्केट में बिक रहा है। जिस का उपयोग, दहीं, पनीर , खोआ आदि में हो रहा है। इस में 15 से 18 प्रतिशत दूध खुली मार्केट में चाय की दुकानों , होटलो ढाबों आदि पर भी होता है। जिले में एक लाख 60 हजार के करीब दूध देने वाले पशु है। जिनमें अधिंक संख्या एचएफ गायों की है।पशुपालक गायों में एचएफ और साहीवाल नस्ल की गायों को दूध के लिए पाल रहे है जबकि भैंसों में नीली रावि और मुहरा नस्लें सब से अधिक पाली जाती है।  
अमृतसर जिले में 600 के करीब कार्मिशयल दूध उत्पादक है जिनके पास दस से अधिक दूध देने वाले पशु है। पिछले 5 वर्षों में दूध का कारोबार करने वालों में 18 से 20 प्रतिशत वृद्धि हुई है। सरकार ने भी डेयरी फार्मिंग को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को सहायक धंधे के रूप में दूध उत्पादन व डेयरी फार्मिंग के लिए सहायता देनी शुरू की है। इस लिए बकायदा जिला स्तर पर टैनिंग सेंटर भी स्थापित किए गए है। इस ट्रेनिंग सेंटरों में एक सप्ताह, दो सप्ताह और चार सप्ताह के अलग अलग ट्रेनिंग कोर्स करवाए जाते है। इस में अब 33 प्रतिशत महिलाओं को भी ट्रेनिंग दी जा रही है। सुबह दस बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक अलग अलग कक्षाएं भी आयोजित की जाती है। जिस में डेयरी फार्मिंग का कारोबार शुरू करने वालों को पशुओं की नस्लों की पहचान, , शैड त्यार करवाने, दूध दोहने वाली मशीनों की जानकारी, फीड तैयार करने, सारा वर्ष हरा चारा उपयोग करने , पशुओं के रिप्रोडक्शन आदि की पूरी ट्रेनिंक दी जाती है। डायरी फार्मिंग वाले आज तक 30 लीटर  या इस से अधिक दूध एक वक्त देने वाले पशुओं को पाल रहे है। 30 लीटर से कम दूध देने वाले पशुओं को लोगों घरेलु दूध की जरूरत पूरी करने के लिए पाल रहे है।
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डेयरी फार्मिंग के लिए कर्ज की सुविधा भी दिलवाता है विभाग: डा कश्मीर सिंह
डेयरी फार्मिंग के डिप्टी डायरेक्टर डा कशमीर सिंह कहते है कि जो भी व्यक्ति डेयरी फार्मिंग शुरू करना चहता है उसे विभाग की ओर से पूरी ट्रेनिंग दी जाती है। 2 से लेकर 20 पशु खरीदने के लिए विभाग बैंक से कर्ज की व्यवस्था भी करवाता है। जिस में अलग अलग स्तर पर केटेगिरी में 45 प्रतिशत तक सबसिडी की भी व्यवस्था है। पशु पालन एक लाभदायक धंधे के रूप में विकसित हो रहा है।
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पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डा रघुनंदन शर्मा कहते है कि आज पशु पालक भैंसों की जगह दूध उत्पादन के लिए गायों को अधिक पाल रहे है। इस के लिए एचएफ किस्त की गायों की अधिक मांग है। जो 40 से लेकर 52 किलोग्राम तक दूध एक समय में देती है। पशु के स्वस्थ्य का ध्यान रखा जाए तो वह लम्बा समय तक डेयरी फार्मिंग वालों को लाभ देने के स्मर्थ है।

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