— लाक डाउन के चलते प्रत्येक फूल उत्पादक किसानों को हुई है एक से दो लाख रूपए की हानि
— फूलों की खेती से हो रही है किसानों की अार्थिक स्थिति मजबूत
पंकज शर्मा , अमृतसर
राज्य में फूलों की खेती एक लाभदायक धंधा बनता जा रहा है। गेंहू व धान के फसल चक्क में फंसे किसान आज सहायक धंधे यहा अपना रहे है वहीं गेंहू व धान से बाहर निकल कर सब्जियां, बागबानी और फूलों की खेती की तरफ बढ रहे है। अमृतसर जिले में भी हार्टीकल्चर विभाग की ओर से किसानों को लगातार फूलों की खेती के प्रति प्रेरित किया जा रहा है। जो किसान फूलों की खेती करते है उनको इस के लिए ट्रेनिंग देने के साथ साथ सबसिडी पर कई स्कीमें भी दी जा रही है। यही कारण है कि आज जिले में फूलों की खेती के अधीन क्षेत्र बढ कर 68 हैक्टयर के करीब पहुंच रहा है। अमृतसर जिले में गुलाब और गेंदे के फूलों की खेती सब से अधिक होती है। गेंदे की डिमांड सब से अधिक है। इस के अलावा जाफरी, कली , गोंगई , गुलदौदी , राकेट मुखौला और गुलदौदी पी —1 और गुलदौती पी —3 आदि किस्मों की सब से अधिक खेती हो रही है। अमृतसर जिले में 56 के करीब किसान ऐसे है जो अन्य फसलों के साथ साथ फूलों की खेती को भी अपना कर अपनी आर्थिकता को मजबूत का रहे है। अमृतसर जिले में अलग अलग तरह के फूलों का उत्पादन करीब 7 हजार क्विंटल है। जिस की खत्म अमृतसर और गुरदासपुर व तरनतारन जिलों में ही हो जाती है। फूल उत्पादक किसानों को अपने फूलों को कहीं भी अन्य राज्य या फिर विदेशों में एक्सपोर्ट करने की जरूरत नही होती । सब से बढी बात यह है कि यह हर रोज आमदनी देने वाला धंधा है।
22 मार्च से लगे लाक डाउन के चलते इस कारोबार से जुडे किसानों को काफी नुकसान उठाना पडा। फूलों की खेती करने वाले प्रत्येक किसानो को एक से लेकर 2 लाख् रूपए की हानि नही है। क्यों के विवाह शादियां बंद थी। डेकोरेशन का काम बंद था। धार्मिक स्थानों में फूल नही जा रहे थे। जिले के 60 प्रतिशत किसानों को इस बार अपनी गुलदौदी के फूलों की तैयार फसल को खेतों में भी जोतना पडा क्यों कि फूलों को संभाल कर रखने की कोई ठोस व्यवस्था अमृतसर जिले के उत्पादकों के पास नही है। प्रति एकड 80 से 100 किवंटल तक फूलों का उत्पादन एक सीजन में किसानों को मिलता है।
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बागबानी अफसर जतिंदर सिंह ने बताया कि जिले में पिछले तीन वर्षों में फूलों की खेती करने के रूझान में 20 प्रतिशत वृद्धि हुई है। किसानों को हर रोज सब्जी उत्पादक किसानों की तरह आमदनी होने के कारण किसानों ने थोडे थोडे एरिया में फूलों की खेती करनी शुरू की है। विभाग अलग अलग बढियां किस्म के फूलों की किस्में किसानों को उपलब्ध करवाने के साथ साथ कारोबार शुरू करने के लिए 40 प्रतिशत तक सबसिडी भी उपलब्ध करवाता है। किसानों को विशेष ट्रेनिंग भी इस के लिए दी जाती है। आमदनी वाला कारोबार होने के कारण अब किसान फूलों की खेती की तरफ बढ रहे है।
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फूलों की खेती करने वाले किसान बलबीर सिंह ने बताया कि उनके परिवार के साथ 6 एकड़ भूमि थी। वह दो भाई है। धान व गेंहू के फसली चक्कर के चलने उनके घर के खर्चे की जरूरतें भी पूरी नही होती थी। हालात ये हुए कि अपनी बहन की शादी पर लिया कर्ज उतारने के लिए उनके दस वर्ष पहले दो एकड भूमि बेचनी पडी। घर के हालात ठीक न होने के कारण वह यूके चला गया। वहां उसने अंग्रेजों के खेतों में काम किया। वहां एक अंग्रेज जिस के पास व काम करता था उसने उसे वापिस भारत जाकर फूलों की खेती करने के लिए प्रेरित किया। यूके तीन चार वर्ष रहने के बाद वह भारत आया । देख परिवार की हालत में कोई सुधार नही है। यहां आकर उसने अपने भाई सुरजीत के साथ फूलों की खेती की योजना बनाई। आज उनाक परिवार पूर्ण खुशहाल परिवार है। दोनों भाई संयुक्त परिवार में रहते है। आर्थिक हालत मजबूत हो गई है। आज जरूरत की हर वस्तु उनके पास है। धान गेंहू का फसल चक्कर छोड फूलों की खेती करने से यहां व भूमि गत पानी को बचा रहे है वही अपने परिवार की आर्थिक हालत को भी मजबूत बनाने में सफल हुए है। विभाग उनको हर तरह की तकनीकी मदद समय समय पर देता रहता है।
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