बुधवार, 9 अक्टूबर 2013

अमृतसर संधि----- महाराजा रणजीत सिंह और अंग्रेजों के बीच हुए था समझौता----


पंकज शर्मा
अमृतसर,  9 अक्टूबर :
आखिर वही हुआ जिस का अनुमान था। शेरे- ए- पंजाब महाराजा रणजीत सिंह और ब्रिटिश की  ईस्ट इंडिया कंपनी के मध्य अमृतसर संधि को लेकर साईन हुए दस्तावेज नीलाम हो ही गए। कितनी हैरानी की बात है कि महाराजा रणजीत सिंह के शासन जैसा शासन देने का दावा करने वाली पंजाब सरकार और महाराजा रणजीत सिंह के आदर्शों पर ही चलने का प्रचार करती है अपने नायक के इतिहासिक दस्तावेजों को बचाने के लिए कुछ भी नहीं करती। इतना ही नहीं भारत सरकार ने भी इन इतिहासिक दस्तावेजों को बचाने के लिए कोई पहल कदमी नहीं की। गत माह यह दस्तावेत 3400 पौंड में निलाम हो गए। यह दस्तावेज 204 वर्ष पुराना है। बात यहीं ही नहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भी इन दस्तावेजों को खरीदने व भविष्य के लिए संभाल कर अपने पास रखने के लिए कोई भी उपराला नहीं किया है। जिस कारण आज सिख कौम एसजीपीसी , अकाली दल आदि पर भी उंगली उठाने लग पड़ा है कि अपने नायक के साथ संबंधित दस्तावेजों को निलामी में खरीदने के लिए आखिर यह संस्थान चुप्पी क्यों धारण किये रखे। आखिर किस मजबूरी के कारण महाराजा रणजीत सिंह के अनुयायी होने का दावा करने वाले इस निलामी के विषया पर चुप रहे। इस से एक कदम और आगे बढ़ते हुए सिखों के एक अन्य विदेशी संगठन  गुरु नानक सेवक सभा बर्मिंघम ने भी इन दस्तावेजों की रक्षा के लिए कुछ पर्यास नहीं किया।
 इंगलैंड की कंपनी मुलाक एक् शन हाउस की ओर से इस एतिहासिक दस्तावेज को निलाम किया है। जबकि कि इसकी कीमत कंपनी की ओर से 6 सौ से 8 सौ पौंड के बीच रखी हुई थी। अभी तक  मुलाक एक् शन हाउस कंपनी यह भी खुलासा करने को तैयार नहीं है कि इन दस्तावेजों को किस ने खरीदा है। सुरक्षा के मद्दे नजर नाम का खुलासा नहीं किया जा रहा है। परंतु मुलाक कंपनी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दस्तावेज निलाम हो गए है। संधि के इन दस्तावेजों  को तैयार करने में ईस्ट इंडिया कंपनी के तत्कालीन अधिकारी चाल्र्स टी मेटकाफ का विशेष योगदान रहा था। इसी कंपनी की ओर से महाराजा रणजीत सिंह एतिहासिक स्टांप पेपरों, कुछ हल्फियाब्यानों और फोटोग्राफों को भी निलाम किया है। सिख गुुरुओं की वाटर पेंटिंगस को भी 220 पौंड में निलाम किया है। कंपनी ने 19 वीं शताब्दी के सिख इतिहास के साथ संबंधित कई पंजाबी और अंग्रेजी में लिखी पुस्तकें भी निलाम की है।
आक् शन कंपनी के आनर रिचर्ड वेस्ट ब्रुक्स ने  विदेशी मीडिया के समक्ष खुलासा करते हुए स्पष्ट किया है कि अमृतसर संधि के एतिहासिक दस्तावेजों को निलाम करके उनकी कपंनी में इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा कर एक नया अध्याय लिख दिया है।

अमृतसर संधि एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें महाराजा रणजीत सिंह की सताा को मजबूत बनाया था। यह भारत की पहली ऐसी संधि थी जिस के तहत अंग्रेजों और सिख राज्य के मध्य कुछ ऐसे समझौते हुए थे कि दोनों का एक दूसरे के राज्य में किसी तरह का कोई बड़ा हस्तक्षेप न किये जाने की बात थी। इस दस्तावेज पर महाराजा रणजीत सिंह और मेटकाफ के मध्य हस्ताक्षर उस समय की महाराजा रणजीत सिंह की गर्मियों की राजधानी अमृतसर में हुए थे। अमृतसर संधि स्टेट आफ लाहौर और ब्रिटिश सरकार के बीच एक मजबूत मित्रता का आधार रखने वाली संधि साबित हुई थी। प्रसिद्ध लेखक खुशवंत सिंह ने भी अपनी एक पुस्तक रणजीत सिंह महाराजा आफ पंजाब में भी उल्लेख किया है कि यह समझौता बाद में संगठित सिख राज के लिए समस्या बन गया था। गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के मुख्य लाईब्रेरियन डा एचएस चौपड़ा ने अमर उजाला को बताया कि इस संधि के अनुसार यह सहमति हुई थी कि अंग्रेज सरकार की सेना कभी भी पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के राज्य में सतलुज दरिया की सीमाओं के अंदर किसी तरह की कोई दखल अंजादी नहीं करेगी। महाराजा रंणजीत सिंह भी कभी वेस्टे में आगे अंग्रेजी राज्य की ओर नहीं बढ़ेंगे।
- पंकज शर्मा

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