रविवार, 19 अगस्त 2012

धर्मू चक्का का जर्रा जर्रा है रूस्तम-ए- हिंद के शोक में



- बहुत सारे गांव के युवा आज नहीं गए हे शोक के कारण अपने कामों पर
- गांव वासियों ने अपनी दुकानें और कारोबार रखें है बंद
- धर्मू चक्क का हर बशिंदा कर रहा है दारा सिंह की आत्म की शांति के सजदा
- दारा के जिगरी दोस्तों की आंखों से बहता नीर नहीं रूक रहा है शोक का समाचार सुन कर
-पंकज शर्मा  
धर्मू चक्क (अमृतसर), 12 जुलाई:
पंजाब ने अपनी मिट्टी का सपूत , रूस्तम-ए-हिंद दारा सिंह खो दिया है। गांव धर्मू चक्क का जरा जरा दारा सिंह को सजदा कर रहा है। धर्मू चक्क के नाम को दुनिया के कोने कोने तक लेकर जाने वाला शेर आज इस दुनिया से विदा हो गया। परंतु उसकी यादें आज धर्मू चक्क के हर बच्चे बच्चे के जहन में सदा के लिए अमर हो गई है। पंजाब व भारत के नाम का दुनिया भर में झंडा बुलंद करने वाले दारा की अचानक मृत्यु पर धर्मू चक्क के हर बशिंदे की आंखें नम है। दारा की मृत्यु की सूचना मिलते ही दारा के भतीजा बलजीत सिंंह का परिवार मुबई रवाना हो गया है। दारा के पैतृक घर को ताला लगा हुआ है। धर के पास ही बरगद और पीपल के पेड़ के नीचे बनी चौपाल पर गांव की महिलाएं और पुरूष व बच्चे इक_ा होकर शोक व्यक्त कर रहे है। दारा सिंह के दोस्त जगीर सिंह और निक्ट वर्ती रिश्तेदार दरबारा सिंह की आंखों से पानी तब से बहे जा रहा है जब से उन्होंने दारा की मृत्यु की खबर सुनी है। गांव में सूनसान है। किसी के घर में कोई भी टीवी या रोडियो नहीं चल रहा। सारा गांव दारा सिंह की आत्मा को सजदा कर भगवान के समक्ष उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रर्थना में जुटा हुआ है। गांव के बहुत से युवा आज अपने गांव के शेर के चले जाने की सूचना सुनकर अपने अपने काम पर नहीं गये है। गांव में कुछ ही दुकानें है जिनको भी गांव वासियों ने अपने हीरो की मौत के शोक में बंद रखा है।
गांव के एलिमेंटरी स्कूल में भी बच्चों की हाजिरी कम है। गांव में चारों ओर शोक की लहर दिखाई दे रही है। मानों गांव का सब कुछ ही लुट पुट गया है। सचमुच गांव की एक बड़ी दौलत व खजाना दारा सिंह आज गांव वासियों से दूर हो गया है।
दारा का दोस्त जगीर सिंह  की तो दारा की मौत की खबर सुन कर मानो आवाज ही बंद हो गई है। रोता हुआ जगीर सिंह कुछ बोल नहीं रहा। बस ईशारों से ही अपने दिल का दर्द ब्यां कर रहा है। आंखों से बहते नीर को कुछ पल के लिए अपने कंधे पर रखे हुए परने से पोंछे हुए जगीर ने कहा कि था कि जब दारा गांव में स्टेडियम का शुभारंभ करने के लिए आया था तो मुझे कहता था कि तुम बहुत कमजोर हो गया है। कुछ खायापीया कर। डाक्टर से दवाई लेता रह और चैकअप हर 15 दिनों में करवाया कर। कहां यह न हो कि अगली बार जब में गांव आऊं तो दूसरे दोस्तों की तरह मुझे मेरा जगीरा भी गांव में न मिले। जैसे मेरो अन्य साथी एक एक करके मुझ से दूर चले गए उसे तरह में जगीरा को अपने से दूर नहंी होना देना चाहता। जगीर सिंह बोलता है कि मुझे क्या पता था कि मेरी सेहत की दुआ करने वाला मुझे से पहले ही इस संसार को छोड़ जाएगा।
दारा के साथ विभिन्न कुश्तियों के रिंग में साथ रहने वाले दरबारा सिंह की आंखों का पानी तो जैसे दारा की मृत्यु की खबर सुन कर सूख ही गया है। उसे गले से आवाज ही नहीं निकल रही है। दरबारा कहता है कि वह दारा की अंतिम शव यात्रा में शामिल होना चाहता है। परंतु हार्ट का मरीज होने के कारण मुझे डाक्टरों ने आने जाने से मना किया है। मैं सिर्फ गांव के गुरुद्वारा साहिब में ही बैठ अपने भाई व जिगरी दोस्त की आत्मा की शांति के लिए दुआ करूंगा। आज मुझे लग रहा है कि मेरी आत्मा ही निकल कर कहीं चली गई है। दारा की मौत की खबर ने धर्मू चक्क के हर निवासी को गहरे शोक में धकेल दिया है। लोगों ने दारा की याद में गुरुद्वारा साहिब में लंगर की व्यवस्था भी की हुई है।



कोई टिप्पणी नहीं: