शुक्रवार, 4 नवंबर 2011


आगरा में गंदा हो गया है मीडिया का धंधा

 दिवाली में कइयों का निकाला दिवाला : आगरा में पत्रकारिता का हाल बहुत बुरा हो गया है। रहिमन तेरे देश में... जैसी हालत यहां के मीडिया में चल रही है। एक और जहां दिन प्रतिदिन आगरा के अंदर समाचार पत्रों की संख्‍या  बढ़ती जा रही हैं वहीं दूसरी ओर यहां की मीडिया के लोगों का स्‍तर भी गिरता जा रहा है। अपने अखबारों के लिए विज्ञापन जुटाने हेतु आगरा में पत्रकारों की एक बड़ी फौज खड़ी हो गयी हैं जो कि दिन भर विज्ञापन पार्टियों के पास पड़ी रहती हैं।
वैसे भी आगरा के कई मीडिया संस्थान में तो स्‍पष्‍ट आदेश है कि अगर फील्ड में काम करना हैं तो आगरा के लालाओं के दरवाजों पर दरबार लगानी पड़ेगी, आगे आपकी मर्जी। इस खेल में वो अखबार भी शामिल हैं जो अपने आप को देश का नंबर एक, दो और तीन का अखबार बताते हैं। मामला मंगलवार का ही ताजातरीन हैं। आगरा के एक मशहूर उद्योगपति, जिनका नाम पूरन डावर हैं, डावर इंडस्ट्रीज़ का संचालन करते हैं। आगरा के दो बड़े पत्रकार, जो कि एक बड़े समाचार पत्र से ताल्लुक रखते हैं, आगरा के इस उद्योगपति के संस्थान डावर शूज पर पहुंचे और वहाँ से दिवाली का गिफ्ट लेने पहुँच गए, जबकि यह गिफ्ट पत्रकारों के लिए कोई अनिवार्य नहीं होता हैं।
इस मामले में सबसे बड़ी बात यह हैं कि आगरा में मीडिया की पोजिशन इतनी बुरी हो गयी हैं कि आगरा के पत्रकार इस तरह से त्‍यौहारी मांगने लगे हैं, जैसे कि किसी घर में साफ सफाई करने वाले, धोबी या अन्‍य कोई काम करने वाले परजुनिया लोग मांगते हैं। जैसे ये लोग घर घर डोलते हैं उसी तरह से आगरा के पत्रकार दीपावली के मौके पर आगरा के हर विधायक, मंत्री, अधिकारियों के यहां जाकर गिफ्ट की मांग करते हैं। सभी लोग इन पत्रकारों से त्रस्‍त हो गए हैं। इतना ही नहीं अभी हाल ही में आगरा में चार नए अखबार आने के लिए बेताब पड़े हैं, जाहिर हैं कि यह भीखमंगई और अधिक बढ़ेगी। जिस तरह की स्थिति दिवाली पर दिख रही है उससे यह तो तय है कि अब आगरा की मीडिया का भगवान ही मालिक है। जिस तरह का माहौल है उसमें यह कहना अतिश्‍योक्ति नहीं होगा कि आगरा में मीडिया का धंधा बाजारू औरत को भी पीछे छोड़ देगा।
एक पत्रकार द्वारा भेजा गया पत्र.

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